September 20, 2024

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India Rural Colloqui | ग्रामीण गरीबी और असमानता की चुनौतियों पर हुआ संवाद

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India Rural Colloqui | Dialogue on the challenges of rural poverty and inequality

रीजनरेटिव डेव्हलपमेंट पर सोसायटी के एप्रोच पर हुई चर्चा

दूरस्थ क्षेत्रों से आए युवाओं, जनप्रतिनिधियों, बिहान दीदियों और परिवारों ने अपने जीवन, संघर्ष, चुनौतियों और सपनों पर की बात

रायपुर। नई दिल्ली की सामाजिक संस्था ट्रान्सफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन (ट्रिफ) और पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आज राजधानी के एक निजी होटल में ’इंडिया रूरल कोलोक्वि’ का आयोजन किया गया। यहां देश में ग्रामीण गरीबी और असमानता की प्रमुख चुनौतियों पर संवाद किया गया। इस दौरान नये गांवों के निर्माण में समाज, सरकार और बाजार की भूमिका और चुनौतियों के समाधान पर विस्तार से चर्चा की गई। इस परिचर्चा में राज्य के वरिष्ठ अधिकारी, समाजसेवक, उद्यमी एवं विभिन्न सामाजिक विकास के क्षेत्र विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और ग्रामीण गरीबी, असमानता एवं अन्य विसंगतियों के समाधान पर विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर बिहान योजना के तहत लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं की सफलता पर आधारित बुकलेट का विमोचन भी किया गया।

शुभारंभ सत्र में छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि ’इंडिया रूरल कोलोक्वि‘ का आयोजन पहली बार रीजनल स्तर पर छत्तीसगढ़ में हो रहा है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर योजना निर्माण के लिए वास्तविक और सही जानकारी जा सकेगी। इससे स्थानीय सोच और चुनौतियों के आधार पर निकली जानकारी योजनाओं के निर्माण में उपयोगी साबित होगी। उन्होंने कहा कि भारत अपनी 75 वर्ष की यात्रा में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है।

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत कीे आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक यह विकसित देशों की श्रेणी में आ जाएगा। ये अनुमान उत्साहजनक हैं, लेकिन विकास और उसकी गति के लिए समझना भी जरूरी है कि विकास का तब तक कोई अर्थ नहीं होगा जब तक इसका फायदा हर नागरिक तक न पहुंचे। हम विकसित देश तभी बनेंगे जब हर नागरिक की इसमें सहभागिता होगी। उपाध्यक्ष सिंह ने कहा कि देश में गरीबी और असमानता बड़ी चुनौतियां हैं। अब गरीबी को मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स के आधार पर मापने लगे हैं, इसमें आर्थिक के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य लिविग स्टैंडर्ड शामिल होते हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार देश के 13 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से बाहर आए हैं। यह बड़ा आंकड़ा है लेकिन अधिक महत्वपूर्ण यह है कि गरीबी रेखा से कितने ऊपर तक ये लोग पहुंचे हैं।

अजय सिंह ने कहा कि भारत आबादी के कारण एक बड़ा मार्केट है। देश में समाज, सरकार और बाजार सही रणनीति पर चलेंगे तो निश्चित ही 2047 तक विकसित राष्ट्र बन जाएंगे। इसके लिए हर राज्य की स्थानीय स्थिति, विकास और चुनौतियों के आधार पर पॉलिसी बनानी पड़ेगी। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है इसलिए यहां राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। डीबीटी के माध्यम से धान खरीदी कर 25 लाख किसानों के हाथों में 29 हजार करोड़ रूपए दिए गए। गोधन न्याय योजना के माध्यम से पशुपालकों से गोबर खरीदी कर 251 करोड़ का भुगतान किया गया। इस गोबर से अब वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा के विकास के लिए मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना शुरू की गई है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्वामी आत्मानंद स्कूल शुरू किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के माध्यम से रोजगार दिया जा रहा है।

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की संचालक पद्मिनी भोई साहू ने समाज में महिलाओं की भूमिका और उसमें बदलाव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं र्को आिर्थक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए घरों से बाहर निकालना एक चुनौती है। यह काम सपोर्ट, मोटिवेशन और समूह चर्चा के माध्यम से किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में गौठानों, रीपा, बिहान जैसी महिला केन्द्रित योजनाओं से जुड़कर बड़ी संख्या में महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है और उनका जीवन स्तर ऊपर उठ रहा है।

पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी, रायपुर के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला ने वीडियो संदेश के माध्यम से बताया कि सरकार के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति तक बाजार के फायदे पहुंचना कार्यक्रम की थीम है। परिचर्चा के बाद निकले निष्कर्ष से पिछड़े वर्गों के मदद के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।

कार्यक्रम में रीजनरेटिव डेव्लपमेंट – होल ऑफ सोसायटी एप्रोच विषय पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री आर. प्रसन्ना ने कहा कि हमें ग्लोबल चेंजेस को ध्यान में रखते हुए विकास की ओर बढ़ना होगा। इसमें सामुदायिक सहयोग भी जरूरी है। हमें योजनाएं बनाते समय सस्टेनेबल डेव्हलपमेंट से एक कदम आगे बढ़कर सकारात्मक बदलाव के लिए रीजनरेटिव एप्रोच से सोचना होगा। इसी सोच से डी-फारेस्ट्रेशन के युग में छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र बढ़ा है। बहुआयामी गरीबी में यहां तेजी से कमी आई है। इस सत्र में मनरेगा आयुक्त श्री रजत बंसल, हिन्दुस्तान यूनिलीवर फाउंडेशन की सुश्री अनंतिका और फिल्म अभिनेत्री व समाज सेवी सुश्री राजश्री देशपांडे ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में सपनों का समुंदर (डीप ड्राइव इनटू ड्रीम्स) के सत्र में प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों से आए युवाओं, जनप्रतिनिधियों, बिहान दीदियों और परिवारों ने अपने जीवन, संघर्ष, चुनौतियों और सपनों पर बात की और बदलते छत्तीसगढ़ की तस्वीर पेश की। इस पर समाजसेवी और सीनियर प्रोग्राम मैनेजर डॉ. मंजीत कौर बल ने कहा कि अवसर और सहयोग से सपने पूरे होंगे। व्यवस्था और तकनीक को पूरा करने की जिम्मेदारी सबकी है। कार्यक्रम में वर्धा के मगन संग्रहालय की सुश्री विभा गुप्ता, ट्रिफ के एमडी श्री अनिश कुमार सहित विभिन्न क्षेत्रों से आई बिहान दीदियां और समाजसेवी शामिल थे।

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