May 6, 2024

The News Wave

सच से सरोकार

Breaking News | VVPT-EVM से जुड़ी याचिकाएं खारिज, जानिए क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

1 min read
Spread the love

Breaking News | Petitions related to VVPT-EVM rejected, know what is the decision of the Supreme Court?

सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सभी याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया है. बैलेट पेपर की मांग को लेकर दर्ज याचिका भी खारिज कर दी गई है.

कोर्ट के इस फैसले से ईवीएम के जरिए डाले गए वोट की वीवीपैट की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को झटका लगा है. ये फैसला जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षा वाली बेंच ने सहमति से दिया है.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में साफ कर दिया है कि मतदान ईवीएम मशीन से ही होगा. ईवीएम-वीवीपैट का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा. 45 दिनों तक वीवीपैट की पर्ची सुरक्षित रहेगी. ये पर्चियां उम्मीदवारों के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेगी.

कोर्ट का निर्देश है कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सील कर सुरक्षित किया जाए. यह भी निर्देश दिया गया है कि उम्मीदवारों के पास नतीजों की घोषणा के बाद टेक्निकल टीम द्वारा ईवीएम के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा, जिसे चुनाव की घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जा सकेगा.

बता दे कि मौजूदा समय में वीवीपैट वेरिफिकेशन के तहत लोकसभा क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के सिर्फ पांच मतदान केंद्रों के ईवीएम वोटों और वीवीपैट पर्ची का मिलान किया जाता है. इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में सिर्फ पांच रैंडमली रूप से चयनित ईवीएम को सत्यापित करने के बजाय सभी ईवीएम वोट और वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर ईसीआई को नोटिस जारी किया था.

ये VVPAT क्या है?

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने 2013 में VVPAT यानी वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनें डिजाइन की थीं. ये दोनों वही सरकारी कंपनियां हैं, जो EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें भी बनाती हैं.

VVPAT मशीनों का सबसे पहले इस्तेमाल 2013 के नागालैंड विधानसभा चुनाव के दौरान हुआ था. इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर भी इस मशीन को लगाया गया. बाद में 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में भी इनका इस्तेमाल हुआ.

2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार VVPAT मशीनों का इस्तेमाल देशभर में किया गया. उस चुनाव में 17.3 लाख से ज्यादा VVPAT मशीनों का इस्तेमाल किया गया था.

कैसे काम करती है ये?

वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए VVPAT को लाया गया था. ये मशीन EVM से कनेक्ट रहती है. जैसे ही वोटर वोट डालता है, वैसे ही एक पर्ची निकलती है. इस पर्ची में उस कैंडिडेट का नाम और चुनाव चिन्ह होता है, जिसे उसने वोट दिया होता है.

VVPAT की स्क्रीन पर ये पर्ची 7 सेकंड तक दिखाई देती है. ऐसा इसलिए ताकि वोटर देख सके कि उसका वोट सही उम्मीदवार को गया है. 7 सेकंड बाद ये पर्ची VVPAT के ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *