Cherchera Festival 2023 | मुख्यमंत्री को धान से तौला, बघेल ने घर-घर लाकर मांगा दान, दी छेरछेरा पर्व की बधाई
1 min readCherchera Festival 2023 | Chief Minister was weighed with paddy, Baghel asked for donations by bringing door to door, congratulated on Chherchera festival
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक पर्व छेरछेरा के मौके पर दूधाधारी मठ पहुंचे। मुख्यमंत्री ने मठ पहुंचकर भगवान के दर्शन किए। मुख्यमंत्री बघेल ने पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि की कामना की। इस मौके पर मुख्यमंत्री बघेल को धान से तौला गया। मठ के बाहर मुख्यमंत्री बघेल ने छेरछेरा का दान मांगा। लोगों ने मुख्यमंत्री को धान का दान किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तीन साल पहले भी मठ में जाकर छेरछेरा का दान मांग चुके हैं। मठ के मंहत और गो सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास के निर्देशन में पूरा कार्यक्रम हो रहा है।
इस अवसर पर सीएम बघेल ने कहा, हमारी सरकार सभी तीज त्योहारों पर छुट्टी दी। मुख्यमंत्री निवास में सभी त्योहारों को मनाते हैं। किसान सभी के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं। छेरछेरा में दान की राशि जनकल्याण में खर्च की जाती है।अन्नदाता समेत सभी वर्ग अनाज को दान करता है। दान देना उदारता और दान लेना अहंकार को नष्ट करने का प्रतीक है। भगवान बालाजी की कृपा से बहुत अच्छी पैदावार हुई है। 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा लेकिन एक भी किसान की शिकायत नहीं आई। सभी को तत्काल भुगतान मिला है।
इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक पर्व छेरछेरा की बधाई और शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की है। बघेल ने छेरछेरा पर्व की पूर्व संध्या पर जारी अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि महादान और फसल उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला छेरछेरा पुन्नी तिहार हमारी सामाजिक समरसता, दानशीलता की और समृद्ध गौरवशाली परम्परा का संवाहक है।
इस दिन ‘छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा‘ बोलते हुए गांव के बच्चे, युवा और महिलाएं खलिहानों और घरों में जाकर धान और भेंट स्वरूप प्राप्त पैसे इकट्ठा करते हैं और इकट्ठा किए गए धान और राशि से वर्ष भर के लिए कार्यक्रम बनाते हैं। यह नई फसल के घर आने की खुशी में पौष मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसी दिन मां शाकम्भरी जयंती भी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी, इसलिए लोग धान के साथ साग-भाजी, फल का दान भी करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों में उदारता के कई आयाम दिखाई देते हैं। यहां उत्पादित फसल को समाज के जरूरतमंद लोगों, कामगारों और पशु-पक्षियों के लिए देने की परम्परा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की अमूल्य धरोहरों और पौराणिक परम्पराओं का संवर्धन और संवहन हो सके, इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार ने छेरछेरा तिहार पर सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया है। उन्होंने कहा है कि छेरछेरा तिहार भेदभाव और अहंकार की भावना को समाप्त कर मिल-जुलकर जीना सिखाता है। छत्तीसगढ़ की इस समृद्ध परम्परा और सभ्यता को भावी पीढ़ी तक ले जाना हम सबका दायित्व है।