जल्द ही इंटरनेट की स्पीड 1 गीगाबाइट होगी, भारत में 5 जी नेटवर्क की तैयारी शुरू!
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बेंगलुरू। सूचना क्रांति में तेजी से आए बदलाव के लिए 4जी नेटवर्क का बड़ा योगदान माना जाता है, लेकिन जल्द ही 5जी नेटवर्क भारत में दस्तक देने वाली है, जिससे इंटरनेट की दुनिया को नया आयाम मिलना तय है। यह इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि 4जी नेटवर्क की तुलना में 5जी नेटवर्क की स्पीड 45 गुना तेज हैं, जिससे ढ़ाई घंटे की एक हाई क्वालिटी फिल्म को एक सेकेंड में डाउनलोड किया जा सकेगा।
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गौरतलब है भारतीय दूर संचार विभाग ने 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी की तैयारी कर रहा है और विभाग ने नीलामी कराने वाली कंपनी के चयन के लिए टेंडर जारी कर दिया है। बताया जा रहा है कि नीलामी कराने वाली कंपनियां 13 जनवरी तक आवेदन कर सकेंगी जबकि 28 जनवरी तक कंपनी का चयन पूरा कर लिया जाएगा।
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DoT ने नीलामीकर्ता चयन के लिए जो टेंडर जारी किया है, उसमें कंपनियां 13 जनवरी तक आवेदन कर सकती है। 24 जनवरी को कंपनियों की बोलियां खुलेंगी और 28 जनवरी तक कंपनी के चयन की प्रकिया पूरी होगी। बताया जाता है कि नीलामीकर्ता कंपनी का चयन 3 साल के लिए होगा। 5G स्पेक्ट्रम समेत 9 स्पेक्ट्रम बैंड्स की नीलामी होगी। सभी 22 सर्किल में स्पेक्ट्रम नीलामी करानी होगी। 19 दिसंबर को विभाग नीलामीकर्ता कंपनियों से साथ बैठक करेगा।
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माना जा रहा है कि 5जी नेवटर्क का विस्तार धीरे-धीरे 4जी नेटवर्क की जगह लेगा और 2020 तक दुनिया भर में 5जी वायरलेस नेटवर्क का विस्तार हो हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो 5जी नेटवर्क का इंफ्रास्ट्रक्चर रिवेन्यू 4.2 अरब डॉलर पहुंच जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो साल 2025 तक 75 अरब इंटरनेट ऑफ थिंग्स डिवाइस आने की उम्मीद है।
इससे यह दुनिया इंटरनेट की मदद से अधिकतर काम बड़ी आसानी से कर सकेगी। हालांकि 5जी कमर्शियल नेटवर्क आने के बाद पहला फायदा मोबाइल ब्रांडबैंड को मिलेगा, जिससे स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव प्राप्त होगा, क्योंकि हर घर तक बिना फाइबर लेन के उच्चतम स्पीड पहुंचाई जाएगी।
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अभी हाल ही में चीन ने अपने 50 शहरों में 5जी की सेवा शुरू की है। चीन की तीन बड़ी सरकारी टेलीकॉम कंपनियों ने 5जी सेवा शुरू किया है। चीन के जिन 50 शहरों में 5जी सेवा की शुरुआत की गई है, उनमें बीजिंग, शंघाई, शेंजेन जैसे शहर शामिल हैं। बताया जा रहा है कि चीन में 5जी इंटरनेट पैक की शुरुआती कीमत 128 युआन यानी करीब 1,290 रुपए रखी गई है।
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तो यह तय माना जा सकता है कि हाई स्पीड इंटरनेट के लिए लोगों को अपनी जेबें ढीली करने के लिए अभी से तैयार हो जाना चाहिए। हालांकि 5जी नेवटर्क में हाईस्पीड इंटरनेट की गारंटी जरूर मिलेगी। भारत में 5जी सेवा अगले साल ही शुरू हो सकती है। दक्षिण कोरिया 5 अप्रैल, 2019 को पूरे देश में 5जी नेटवर्क लांच कर दिया। दक्षिण कोरिया के बाद चीन 5जी नेटवर्क वाला दूसरा देश बन गया है।
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4 जी नेटवर्क के कितना होगा अलग 5जी नेटवर्क
5जी यानी 5वीं जनरेशन नेटवर्क से डेटा स्पीड कई गुना बढ़ जाती है। 5जी नेटवर्क के जरिए डेटा 4 जी की तुलना में 250 गुना अधिक स्पीड से ट्रैवल कर सकता है। इससे एक फॉरमेंट में एक साथ सैकड़ों फिल्मों को देखा जा सकता है। फैक्टरी रोबोटिक्स, सेल्फ ड्राइविंग कार टेक्नोलॉजी, मशीन लर्निंग नेटवर्क, क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी और एडवांस मेडिकल इक्वविपमेंट औ स्मार्ट सिटी से जुड़ी टेक्नोलॉजी में यह 5जी टेक्नोलॉजी क्रांति ला सकती हैं।
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हाईस्पीड 5जी नेटवर्क से होगी समय की बचत
माना जा रहा है कि 5जी नेटवर्क से इंटरनेट की स्पीड बढ़ने से न सिर्फ जिंदगी आसान होगी बल्कि समय की भी बचत होगी। वर्तमान समय में कोई भी एचडी (हाईडेफिनेशन) क्वालिटी की फिल्म डाउनलोड करने में थोड़ा समय लगता है , लेकिन 5जी आने के बाद किसी भी काम को चंद सेकेंड में किया जा सकेगा। यहां तक कि कई बार तार के माध्यम से आने वाले इंटरनेट कनेक्शन में कनेक्टिविटी टूटने की आशंका रहती है लेकिन 5जी में ऐसा नहीं होगा।
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2020 के अंत तक हो जाएंगे 17 करोड़ 5जी यूजर्स
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 के अंत तक चीन में 5जी यूजर्स की संख्या 17 करोड़ के पार पहुंच जाएगी। वहीं 75,000 यूजर्स के साथ दक्षिण कोरिया 5जी यूजर्स के मामले में दूसरे पायदान पर होगा। साल 2020 तक अमेरिका में 5जी यूजर्स की संख्या 10 हजार के करीब हो सकती है।
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इन देशों में शुरू हो चुकी है 5जी नेटवर्क सेवा
5जी सर्विस शुरू करने वाला पहला देश दक्षिण कोरिया है, जिसके बाद चीन में 5जी सर्विस शुरू की गई हैं। अमेरिका में कुछ जगह पर शुरू हो चुकी है। साथ ही कुछ यूरोपियन देश भी इसमें शामिल हो चुके हैं, जिनके नाम स्विट्जरलैंड, फिनलैंड और ब्रिटेन हैं। इसके अलावा कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, स्पेन, स्वीडन, कतर और यूएई ने 5जी को शुरू करने को लेकर आधिकारिक घोषणा कर दी है।
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5जी नेटवर्क की रेडियोफ्रीक्वेंसी विकिरण को लेकर चिंता
माना जाता है कि 5जी नेटवर्क का प्रसार होने के बाद रेडियोफ्रीक्वेंसी (आरएफ) विकिरण के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है। 5जी नेटवर्क के शुरू होने पर देश में मोबाइल टावरों की संख्या बढ़ेगी। चूंकि आरएफ सिग्नल की ताकत बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में विकिरण से स्वास्थ्य खराब होने की आशंका भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक नियामक प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित सुरक्षा के मानकों का पालन होता रहेगा तब तक आरएफ से डरने की जरूरत नहीं है।
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आर एफ सिग्नलों से बढ़ता है शरीर का तापमान
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 5जी नेटवर्क के प्रसार के बाद रेडियोफ्रीक्वेंसी (आरएफ) सिग्नलों के संपर्क में आने की आशंकाओं को कम किया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, आरएफ के परिक्षेत्र में आने से शरीर का ताप बढ़ता है और तापमान में मामूली वृद्धि लोगों के स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करती है। हालांकि 5जी नेटवर्क के ज्यादा इस्तेमाल से खतरा बढ़ सकता हैं, क्योंकि ईसीजी पेसमेकर, अल्ट्रासाउंड जैसे कई उपकरणों में अल्ट्रासाउंड के लिए जिन उच्च स्तर की रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है। उन्हीं उच्च स्तर की तंरंगों का इस्तेमाल स्मार्टफोन में होता है।
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भारत में अभी 5जी ट्रायल की क्या है ताजा स्थिति
भारत सरकार ने देश में 5जी ट्रायल के लिए आईआईटी चेन्नई में टेस्ट बेड बनाया है जबकि चीनी कंपनी हुवावे की कंपीटिटर एरिक्सन ने भी आईआईटी दिल्ली में टेस्ट बेड बनाया है। हुवावे ने कहा है कि अगर सरकार ने उसे जल्द इजाजत दे दी तो वह भी 5जी ट्रायल के लिए अपना लैब बनाएगा, लेकिन चीनी कंपनी हुवावे के विरोधियों का कहना है कि 5 जी नेटवर्क इक्विपमेंट में चीनी वेंडर भारत की सुरक्षा के लिए लिए गंभीर खतरा बना सकते हैं, क्योंकि चीन के कानून के मुताबिक ऐसी कंपनियों को वहां की सरकार से जानकारी साझा करना जरूरी हैं। हालांकि हुवावे ने भारत की आंशका को निराधार बताया है। अमेरिका ने चीनी कंपनी हुवावे को अमेरिका में बैन कर रखा हैं और अमेरिका सभी देशों को हुवावे को बैन करने की डिमांड भी कर रही हैं।
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ऑप्टिकल फाइबर से लैस करने होंगे 80 % मोबाइल टावर
दक्षिण कोरिया, चीन, जापान जैसे देश अगले साल 5जी तकनीक को लोगों तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और उसके लिए उनका होमवर्क भी पूरा हो चुका है। कहा जा रहा है कि जिस तरह बुलेट ट्रेन के लिए पूरी तरह अलग ट्रैक बनाने की जरूरत होती है, उसी तरह 5जी तकनीक के लिए भी खास इंतजाम करने होते हैं। इसके लिए 80 फीसदी मोबाइल टावर को ऑप्टिकल फाइबर से लैस करने की जरूरत होती है, जबकि अभी देश में मात्र 15 फीसदी टावर इस तकनीक से जुड़े हैं। इंडस्ट्री के मुताबिक, अभी जो स्थिति है, उसमें 5जी तकनीक आने में दो-तीन साल लग सकते हैं। जानकारों का कहना है कि जब 4जी तकनीक ही पूरे देश में अपने पैमानों पर खरी नहीं उतर रही, ऐसे में 5जी की बात करना जल्दबाजी ही है। एक सर्वे में आया भी है कि 4जी सर्विस पूरे विश्व में सबसे धीमी भारत में रही है।
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5जी तकनीक के लिए बनाई गई है नई टेलीकॉम नीति
दूर संचार विभाग का कहना है कि 5जी जैसी तकनीक देश में आए, इसे देखते हुए ही नई टेलिकॉम नीति बनाई गई है, जिसे केंद्र सरकार ने पिछले साल ही मंजूरी भी दे दी थी। प्रस्तावित नीति में टेलिकॉम सेक्टर में लाइसेंसिंग और फ्रेमवर्क, सभी के लिए कनेक्टिविटी, सेवाओं की गुणवत्ता, व्यापार करने में आसानी और नई तकनीक पर जोर जैसे 5जी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसी चीजें शामिल हैं। इस नीति में टेलिकॉम सेक्टर में 100 अरब डॉलर के निवेश को किस तरह आकर्षित किया जाए, इस बारे में भी रोडमैप दिया गया है। इसमें 5जी के लिए भी रोडमैप है, जिसमें बताया गया है कि किस तरह इसकी राह में मौजूद बाधाओं को दूर किया जा सकता है।
5जी तकनीक से दुनिया में आएगी नई सूचना क्रांति
जानकारों का मानना है कि 5जी से तकनीक में नई क्रांति आएगी। इसे 4जी तकनीक से कई गुना तेज माना जाता है। इस तकनीक के उपयोग में आने के बाद दैनिक जरूरतों से जुड़ी तकनीकी सुविधाएं भी हाइटेक होने की उम्मीद है, क्योंकि पहली जनरेशन में वायरलेस टेक्नोलॉजी के लिए स्पेक्ट्रम की लोअर फ्रीक्वेंसी बेंड का इस्तेमाल होता था, जिसकी दूरी ज्यादा होती है। वहीं, इंडस्ट्री ने 5जी नेटवर्क में लोअर फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम इस्तेमाल करने के बारे में सोचा है। इससे नेटवर्क ऑपरेटर के सिस्टम का इस्तेमाल हो सकेगा, जो उनके पास पहले से ही मौजूद है। इसकी इंटरनेट स्पीड चौथी जनरेशन से 10 से 20 गुना ज्यादा होगी।