Chhattisgarh | साय सरकार को हाईकोर्ट ने क्यों जारी किया नोटिस ?
1 min readChhattisgarh | Why did the High Court issue notice to SAI government?
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कोर्ट ने पूछा है कि, आखिर राज्य में चल क्या रहा है। एक दुष्कर्म पीड़ित दलित महिला के पूरे परिवार के खिलाफ 8 आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। अब पूरा परिवार जीवन भर मुकदमा लड़ेगा। यह पावर का मिस यूज है और एजी साहब आप इसे खुद देखें।
यह है पूरा मामला –
उल्लेखनीय है कि, बिलासपुर जिले की रहने वाली दलित विवाहित महिला ने सिटी कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि, वर्ष 2018 से 12 दिसंबर 2019 के बीच रायपुर के न्यू कालोनी टिकरापारा निवासी आरोपी पीयूष तिवारी ने खुद को अविवाहित और डीएसपी बताकर शादी करने का प्रलोभन देकर उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता जब को पता चला कि, आरोपी न तो डीएसपी है और ना ही अविवाहित है।
तब उसने संबंध खत्म कर लिया और उसके खिलाफ दुष्कर्म के साथ ही एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज करा दिया। इसके बाद आरोपी पीयूष तिवारी और उसके मित्र आईपीएस अरविंद कुजूर ने आरोपी महिला को उसे किसी भी केस में फंसाने की धमकी देते हुए केस वापस लेने का दवाब बनाया। तब पीड़िता अपने घर चली गई और वर्ष 2018 में इंदौर में शादी कर ली।
शादी का पता चलते ही पूरे परिवार के खिलाफ दर्ज कराया केस –
शादी का पता चलने ही पीयूष तिवारी ने कुम्हारी पुलिस थाने में धोखाधड़ी का झूठा केस दर्ज कराया और महिला के पिता, भाई और पति को गिरफ्तार करवाकर जेल भिजवा दिया। याचिका के मुताबिक इसमें उसके आईपीएस मित्र अरविंद कुजूर अपने पद का उपयोग किया। हालांकि, बाद में आरोपी पियूष तिवारी इस फर्जी मुकदमा के माध्यम से पीड़िता पर केस वापस लेकर राजीनामा करने का दबाव बनाया। लेकिन खुद का केस वापस नहीं लिया।
अलग- अलग थानों में दर्ज कराये 8 मुकदमे –
इसी बीच विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटी रायपुर ने आरोपी को एट्रोसिटी एक्ट में सजा सुनाई। सजा होने के बाद आरोपी ने अपने आईपीएस मित्र की सहायता से पीड़िता के परिवारवालों के खिलाफ अलग-अलग थानों में 8 केस दर्ज करा दिया। जैसे ही एक केस में जब पीड़िता के परिजनों को जमानत मिलती थी तो उससे पहले दूसरी एफआईआर दर्ज करा दी जाती थी। इससे पीड़ित महिला का परिवार लगातार जेल में रहा।
आईपीएस अरविंद कुजूर सहित पक्षकारों को कोर्ट ने जारी किया नोटिस –
परेशान होकर आरोपियों के खिलाफ पीड़िता और उसके परिवार वालो ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई। जहां चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डीबी में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए महाधिवक्ता से कहा कि, प्रदेश में क्या हो रहा है। क्या यह पावर का मिसयूज नहीं है। आप चीफ सैकेट्री और पुलिस विभाग के चीफ से बात कर जवाब दें और ऐसे बिलकुल नहीं चलेगा। इसके साथ कोर्ट ने पीड़िता और उसके परिवार के खिलाफ चल रहे सभी मुकदमों की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आईपीएस अरविंद कुजूर सहित सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।