May 5, 2024

The News Wave

सच से सरोकार

Supreme Court On EVMs | SC ने चुनाव आयोग को भेजा नोटिस, ईवीएम से छेड़छाड़ और दूसरी पार्टियों का वोट भाजपा को ट्रांसफर का आरोप

1 min read
Spread the love

Supreme Court On EVMs | SC sent notice to Election Commission, alleging EVM tampering and transfer of votes of other parties to BJP

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा चुनाव इससे पहले अक्सर ईवीएम से छेड़छाड़ का मामला लगातार उठता रहा है। इसी बीच, कल सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम में गड़बड़ी पर कहा कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की विश्वसनीयता का सवाल एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है। केरल में ईवीएम से छेड़छाड़ और दूसरी पार्टियों के वोट बीजेपी को ट्रांसफर करने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है।

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन को ईवीएम संबंधी शिकायतों पर ध्यान देने का आदेश दिया है। केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल कराई गई। कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया गया कि वहां हर वोट बीजेपी को जा रहा है। इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने मौखिक आदेश में चुनाव आयोग से कहा कि वह इस मामले में जो रिपोर्ट आई है उसकी जांच करें।

बीजेपी को मॉकड्रिल में मिले ज्यादा वोट? –

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एडीआर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक मीडिया रिपोर्ट का जिक्र किया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, कासरगोड में मॉक ड्रिल के दौरान भारतीय जनता पार्टी को चार ईवीएम और वीवीपैट में एक अतिरिक्त वोट मिला। पीठ ने इसे गंभीरता से लेते हुए चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह को पूरे मामले को चेक करने का निर्देश दिया। कोर्ट में कई अर्जियां दाखिल की गई हैं। इसमें मांग की गई है कि ईवीएम से डाले गए सभी वोटों का मिलान वीवीपैट की पर्चियों से किया जाए।

हालांकि गुरुवार को चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के सामने ऐसी रिपोर्ट्स को निराधार और पूरी तरह से गलत बताया। चुनाव आयोग ने सु्प्रीम कोर्ट से कहा कि जिन न्यूज रिपोर्ट में ऐसा दावा किया जा रहा है कि केरल के कासरगोड में मॉक पोल के दौरान चार वोटिंग मशीनों में एक एक्स्ट्रा वोट बीजेपी को गया, वे गलत हैं।

ANI की रिपोर्ट के अनुसार, सीनियर इलेक्शन कमीश्नर नीतेश कुमार व्यास ने जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच को बताया कि ये रिपोर्टस फर्जी हैं। हमने जिला कलेक्टर से आरोपों की पुष्टि की है और ऐसा प्रतीत होता है कि वे झूठे हैं। हम कोर्ट को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे।

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मांग की थी कि सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जाए। इस पर कोर्ट ने कहा था कि भारत जैसे बड़े देश में ऐसा कैसे संभव हो सकता है। प्रशांत भूषण ने जर्मनी जैसे देश का उदाहरण दिया और कहा कि वहां पर तो बैलेट पेपर के जरिये चुनाव हो रहे हैं। इस पर जज ने कहा कि वहां की आबादी केवल 6 करोड़ ही है।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पश्चिम बंगाल से ही आता हूं और यहां पर ही आबादी केवल 6 करोड़ लोगों की है। जस्टिस ने कहा कि हमने उस जमाने को भी देखा है जब बैलेट पेपर से चुनाव हुआ करते थे। पीठ ने यह भी साफ कर दिया कि अगर लोगों के द्वारा किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप ना किया जाए तो मशीन ठीक तरीके से काम करती है।

ANI की रिपोर्ट में बताया गया है कि बेंच द्वारा पूछे पर कोर्ट रूप में मौजूद चुनाव अधिकारी ने EVM और VVPAT की वर्किंग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि EVM बनाने वाले को यह नहीं पता होता है कि कौन सा बटन किस पार्टी को आवंटित किया जाएगा या कौन सी मशीन किस राज्य को आवंटित की जाएगी।

उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि EVM और VVPAT पर्चियों के बीच कभी कोई ‘मिस-मैच’ नहीं हुआ है। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा, “यह चुनावी प्रक्रिया है। इसमें पवित्रता होनी चाहिए। किसी को यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जो कुछ अपेक्षित है वह नहीं किया जा रहा है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *