Solar Eclipse 2019 : सूर्य ग्रहण का सूतक आज रात 8 बजे से, 296 साल बाद बन रहा ये संयोग
1 min readSolar Eclipse 2019। साल का पांचवां और आखिरी खंडग्रास सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को पड़ रहा है। कंकड़ा आकृति का सूर्यग्रहण चूंकि भारत में दिखाई देगा, इसलिए ग्रहण का सूतक कॉल 12 घंटे पहले रात्र 8 बजे से लगेगा। हर रोज मंदिर के पट 9 बजे बंद होते हैं, लेकिन बुधवार की रात 8 बजे ही पट बंद हो जाएंगे। गुरुवार को सुबह 11 बजे के बाद ग्रहण का मोक्ष काल खत्म होगा। इसके चलते मंदिर की साफ-सफाई के पश्चात शाम को ही प्रतिमा का श्रृंगार, आरती की जाएगी।
296 साल बाद बन रहा संयोग
ज्योतिषी डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार वृद्धि योग और मूल नक्षत्र में गुरुवार और अमावस्या का संयोग बन रहा है। साथ ही धनु राशि में छह ग्रह एक साथ विद्यमान हैं। ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण का संयोग 296 साल पहले 7 जनवरी 1723 को बना था।
साढ़े तीन घंटे रहेगा ग्रहण
महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला के अनुसार सूर्य ग्रहण की अवधि करीब 3.30 घंटे रहेगी। भारत में सूर्य ग्रहण सुबह 8.14 बजे शुरू होगा। ग्रहण का मोक्ष काल उत्तर भारत में 10.56 बजे और दक्षिण भारत में 11.19 बजे तक रहेगा। कोलकाता में सुबह 11.32 बजे तक ग्रहण दिखाई दे सकता है। सूर्य ग्रहण का सूतक 25 दिसंबर बुधवार को रात 8 बजे शुरू होगा। चूंकि सुबह 11.19 बजे तक ग्रहण है इसलिए शाम को ही मंदिर के पट खुलेंगे।
गुरुवार को अमावस्या का संयोग
26 दिसंबर गुरुवार को पौष की अमावस्या का संयोग तीन साल बाद बन रहा है। इससे पहले 29 दिसंबर 2016 को गुरुवार और अमावस्या थी। इसके साथ ही 296 साल पहले हुए सूर्य ग्रहण पर भी गुरुवार और अमावस्या का संयोग बना था। इस संयोग के प्रभाव से ग्रहों की अशुभ स्थिति का असर कम हो जाता है। इससे अच्छी आर्थिक और राजनीतिक स्थितियां बनती हैं।
क्यों होता है ग्रहण
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवता और दानवों ने समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन से अमृत निकला तो देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाया। राहु नाम के असुर ने भी देवताओं का वेश धारण करके अमृतपान कर लिया था। चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। विष्णु ने राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। इस घटना के बाद राहु ने चंद्र और सूर्य से शत्रुता पाल ली। समय-समय पर सूर्य और चंद्र को राहु ग्रसता है। इसे ही सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहते हैं।
वैज्ञानिक मान्यता
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तब चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढंक जाता है। इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है।