Chhattisgarh to become green energy hub, Rs 3,500 crore investment in biofuel production
रायपुर, 10 नवंबर 2025। छत्तीसगढ़ जैव ईंधन के क्षेत्र में बड़ा कदम बढ़ा रहा है। राजधानी रायपुर में आयोजित बायोफ्यूल एंड बायो एनर्जी एक्सपो 2025 और छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल रोडमैप विजन 2024-29 सेमीनार में यह जानकारी दी गई कि राज्य में करीब 3,500 करोड़ रुपये का निवेश बायोफ्यूल उत्पादन में किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण (CBDA) के सीईओ सुमित सरकार ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य को बायोफ्यूल के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि “छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति 2024-2030 के अनुरूप कई निजी कंपनियां निवेश कर रही हैं।”
गेल (GAIL) और बीपीसीएल (BPCL) जैसी कंपनियों ने राज्य के विभिन्न नगर निगम क्षेत्रों में 8 बायोमास आधारित संपीड़ित बायोगैस संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं, ओएनजीसी ग्रीन और एचपीसीएल ग्रीन सीबीजी उत्पादन इकाइयां स्थापित करने के लिए संभावित स्थलों का सर्वे कर रही हैं।
राज्य में धान, मक्का और चने के अवशेषों से बायोएथेनॉल और कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन के लिए फीडस्टॉक आधारित परीक्षण चल रहे हैं। साथ ही कृषि अपशिष्ट से एंजाइम उत्पादन और माइक्रोबियल स्ट्रेन विकास पर भी काम किया जा रहा है।
सीईओ ने बताया कि अब सीबीडीए बायोमास-आधारित हाइड्रोजन उत्पादन की तैयारी कर रहा है, जिसका उपयोग सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) बनाने में किया जाएगा। इस दिशा में हाइड्रोप्रोसेस्ड एस्टर एंड फैटी एसिड तकनीक पर काम किया जा रहा है।
सीबीडीए ने अधिशेष चावल को प्राथमिक फीडस्टॉक मानकर बायोएथेनॉल उत्पादन की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की है। हाल ही में एनएसआई, कानपुर के सहयोग से दुर्ग जिले के गोढ़ी गांव में चुकंदर की खेती का परीक्षण शुरू किया गया है ताकि इथेनॉल उत्पादन की नई संभावनाएं खोजी जा सकें।
सेमीनार में कई विशेषज्ञों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं –
गेल के सीजीएम मोहम्मद नजीब कुरैशी और डीजीएम जितेंद्र पांडे ने सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की जानकारी दी।
बीपीसीएल के डीजीएम संजय ठाकुर ने छत्तीसगढ़ में कम्प्रेस्ड बायोगैस की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के डीजीएम सुशील वर्मा ने धान से बायोगैस उत्पादन पर प्रस्तुतीकरण दिया।
डॉ. वनिता प्रसाद (आरईवीवाय एनवायरनमेंटल सॉल्यूशंस), राजेश दाते (एट्रीएम इनोवेशन), सुकांत कुमार मेहेर (इंग्रोटेक एक्वा इंजीनियर्स) और जितेंद्र नारायण (एईसी एग्रीटेक) ने तकनीकी, नीतिगत और प्राइसिंग पहलुओं पर जानकारी साझा की।
छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल प्राधिकरण की यह पहल न केवल राज्य को ग्रीन एनर्जी हब बनाने की दिशा में अग्रसर कर रही है, बल्कि किसानों और उद्योगों के लिए नए अवसर भी पैदा कर रही है।
