Chhattisgarh | From the sound of guns to the smell of fruits, agriculture has ushered in a new dawn of development in Bastar.
रायपुर, 10 नवम्बर 2025। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की नीतियों और किसानों की आय बढ़ाने वाली योजनाओं ने बस्तर में बदलाव की ऐसी गाथा लिखी है, जिसने बंदूक की गूंज को फलों और फूलों की खुशबू में बदल दिया है। कभी नक्सल प्रभावित माने जाने वाला यह इलाका आज कृषि नवाचार और आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुका है।
वर्ष 2001-02 में जहां सब्जियों की खेती महज 1,839 हेक्टेयर में होती थी, वहीं अब यह बढ़कर 12,340 हेक्टेयर तक पहुंच गई है। उत्पादन भी 18,543 मीट्रिक टन से बढ़कर 1.90 लाख मीट्रिक टन तक जा पहुंचा है। यही नहीं, अब बस्तर में ड्रैगन फ्रूट, अमरूद, पपीता, चकोतरा और टमाटर-मिर्च की खेती से किसानों की आय कई गुना बढ़ी है।
फलों की बगिया का क्षेत्रफल 643 हेक्टेयर से बढ़कर 14,420 हेक्टेयर हो गया है, जबकि उत्पादन 4,457 से बढ़कर 64,712 मीट्रिक टन तक पहुंच गया। बस्तर में जहां कभी फूलों की खेती का नामोनिशान नहीं था, आज वहां 207 हेक्टेयर में 1,300 मीट्रिक टन फूलों का उत्पादन हो रहा है। इसी तरह मसालों की खेती अब 1,100 हेक्टेयर में 9,327 मीट्रिक टन उत्पादन तक पहुंच चुकी है।
यह बदलाव शासन की योजनाओं, आधुनिक तकनीक और किसानों की मेहनत का परिणाम है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना, राष्ट्रीय बागवानी मिशन और शेडनेट हाउस प्रोजेक्ट्स से किसानों को न केवल तकनीकी सहायता मिली है, बल्कि अनुदान और प्रशिक्षण से उनकी उत्पादकता में भी भारी वृद्धि हुई है।
आज बस्तर में 3.5 हजार हेक्टेयर में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, 3.80 लाख वर्गमीटर में शेडनेट हाउस, और पॉलीहाउस व सीडलिंग यूनिट्स किसानों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। यहां कॉफी, ड्रैगन फ्रूट और ऑयल पाम की खेती भी तेजी से बढ़ रही है।
बस्तर की यह कहानी अब आंकड़ों से आगे बढ़ चुकी है, यह उन किसानों की मुस्कान की कहानी है जो कभी असुरक्षा और अभाव में जीते थे, और आज अपनी मेहनत से हरियाली और समृद्धि की नई पहचान गढ़ रहे हैं।
