September 22, 2024

The News Wave

सच से सरोकार

Chhattisgarh | 29 अगस्त को मनाया जाएगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस

1 min read
Spread the love

Chhattisgarh | National Deworming Day will be celebrated on 29th August

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 29 अगस्त 2024 को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जा रहा है। प्रदेश के 1 वर्ष से 19 वर्ष के सभी बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को आंगनबाड़ी केन्द्रों, शासकीय विद्यालयों, स्वास्थ्य केन्द्रों, अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों और तकनीकी शिक्षा संस्थानों में कृमि की दवा का सेवन कराया जाएगा। बच्चों व किशोरों के अच्छे स्वास्थ्य, बेहतर पोषण,नियमित शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी के लिए कृमिनाशक दवा देना आवश्यक है।

शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के उप संचालक डॉ. व्ही.आर. भगत ने बताया कि प्रदेश में 1 से 19 वर्ष के 1 करोड़ 7 लाख 97 हजार बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को कृमिनाशक दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि स्कूलों में शिक्षकों द्वारा एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कृमिनाशक दवा एल्बेन्डाजॉल 400 एमजी की दवा का सेवन कराया जाएगा। 04 सितम्बर 2024 को मॉप-अप दिवस का आयोजन किया जाएगा जिसमें दवा सेवन से छूटे हुए बच्चों व किशोरों को दवा सेवन कराया जाएगा। इससे उनके स्वास्थ्य एवं पोषण के स्तर, एनीमिया की रोकथाम, बौद्धिक विकास तथा शाला में उपस्थिति में सुधार आएगा।

शिक्षकों एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कृमिनाशक दवा एल्बेन्डाजॉल का सेवन कराकर कृमि नियंत्रण किया जाएगा जिसमें 01 वर्ष से 02 वर्ष के बच्चों को आधी गोली (पीसकर), 02 से 03 वर्ष के बच्चों को एक गोली (पीसकर), 03 से 05 वर्ष के बच्चों को एक गोली चबाकर, 06 से 19 वर्ष के बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को एक गोली चबाकर पानी के साथ खिलाई जाएगी।

डॉ. भगत ने बताया कि कृमिनाशक दवा का सेवन बच्चों, किशोरों व किशोरियों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। बच्चों के शरीर में कृमि के कारण कुछ सामान्य प्रतिकूल प्रभाव जैसे जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, पेट में हल्का दर्द और थकान का अनुभव हो सकता है। इसके अतिरिक्त जिन बच्चों को तीव्र कृमि संक्रमण होता है, उन्हें आमतौर पर कुछ अस्थायी प्रभाव भी हो सकते हैं, जिनको आसानी से स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्रों में ही देखभाल करते हुए ठीक किया जा सकता है। बच्चों एवं किशोरों में ये लक्षण पाए जाने पर उन्हें पीने का साफ़ पानी दें और उन्हें अपनी निगरानी में रखें।

कृमि की दवा वर्ष में दो बार देना आवश्यक

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रो में बच्चों को एक-एक अल्बेंडाजोल की टेबलेट खिलाई जाएगी। ऐसे बच्चे और किशोर-किशोरी जो स्कूल नहीं जाते हैं उन पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार पेट में कृमि होने के कई तरह की समस्या हो सकती है। ऐसे लक्षण के प्रति माता-पिता को जागरूक रहना चाहिए। कृमि के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता व खाने में रूचि घटती है। बच्चे अधिक भोजन करेंगे, लेकिन शरीर में नहीं लगेगा। अल्बेंडाजोल की गोली खिलाने से बच्चे एनीमिया का शिकार होने से बच सकते हैं। इससे मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है और बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। मानसिक और शारीरिक विकास के लिए 01 से 19 वर्ष तक के बच्चों को कृमिनाशक दवा खिलाना जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *