किसानों की आय बढ़ाने में खाद्य प्रसंस्करण की महत्वपूर्ण भूमिका: अमरजीत भगत
1 min read
किसानों की आय बढ़ाने में खाद्य प्रसंस्करण की महत्वपूर्ण भूमिका: अमरजीत भगत
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने की कृषि विश्वविद्यालय के कार्यों की सराहना
रायपुर, 26 मई, 2020। छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा है कि खेती की लागत कम करने और नवीन उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी का उपयोग करने से ही कृषि से होने वाली आय में बढ़ोतरी हो सकती है। उन्होंने किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए फसलों का प्रसंस्करण किये जाने की जरूरत जताई और खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर जोर दिया। अमरजीत भगत ने आज यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा संचालित अनुसंधान एवं विस्तार गतिविधियों का जायजा लिया। इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. एस.के. पाटील सहित विश्वविद्यालय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत ने विश्वविद्यालय के भ्रमण के दौरान औषधीय, सगंध एवं अकाष्ठीय वनोपज उत्कृष्टता केन्द्र, डाॅ. रिछारिया अनुसंधान प्रयोगशाला एवं कृषि संग्रहालय का अवलोकन कर वहां संचालित गतिविधियों की जानकारी ली। विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. पाटील ने उन्हें बताया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय तथा इसके अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण तकनीक का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उत्कृष्टता केन्द्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा कृषक समूहों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को विभिन्न फसलों के प्रसंस्करण के द्वारा मूल्य संवर्धित खाद्य उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके तहत अनाज, लघु धान्य एवं अन्य फसलों के प्रसंस्कृत उत्पाद जैसे कोदो चावल, मल्टीग्रेन आटा, रागी माल्ट, तीखुर पावडर, ईमली ब्रिकेट, चिरौंजी, मखाना, मुनगा पावड, शहद, अचार, चटनी, मुरब्बा आदि तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा किसानों को औषधीय एवं सगंध फसलों – लेमन ग्रास, पामारोजा, अश्वगंधा, तुलसी, एलोवेरा, ब्राम्ही, गिलोय आदि की खेती का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। श्री भगत ने उत्कृष्टता केन्द्र में कोदो मिलर, डी-हस्कर, ग्रेन पाॅलिशर, मिनी राइस मिल, हाॅट एयर ओवन, ड्राय एण्ड वेट ग्राइंडर, फ्रूट एण्ड वेजिटेबल पल्पर, राईस पफिंग मशीन, ईमली ब्रिक्वेटिंग मशीन आदि का अवलोकन किया एवं उनके बारे में जानकारी प्राप्त की। श्री भगत ने किसानों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण देने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की तारीफ की।
अमरजीत भगत ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित डाॅ. रिछारिया अनुसंधान प्रयोगशाला का भी निरीक्षण किया और वहां जेनेटिकली माॅडिफाइड फसलों की जांच, हेवी मेटल्स जांच, पेस्टीसाइड अवशेष जांच तथा सूक्ष्मजीवों की जांच करने वाली प्रयोशालाओं का अवलोकन किया। कुलपति डाॅ. पाटील ने उन्हें बताया कि निर्यात करने के लिए कृषि फसलों एवं खाद्य उत्पादों के लिए यह सभी जांच आवश्यक हैं। फसलों एवं उत्पादों में उपरोक्त सभी जांच की सुविधा यहां मिलने से किसानों के लिए उनकी फसलों का निर्यात करना आसान होगा। मंत्री भगत ने विश्वविद्यालय परिसर स्थित कृषि संग्रहालय का भी अवलोकन किया और वहां छत्तीसगढ़ के विभिन्न भौगोलिक एवं कृषि जलवायविक क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसलों, किस्मों, उत्पादन एवं उत्पादकता के बारे में जानकारी ली। उन्होंने यहां खाद्यान दलहन, तिलहन, उद्यानिकी फसलों की संभावनाओं के बारे में भी जानकारी ली।
अमरजीत भगत ने मछली पालन, पशु पालन, लाख की खेती एवं कृषि व्यवसाय प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से एकत्रित धान की 24 हजार से अधिक देशी किस्मों के जननद्रव्य संग्रहण के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन एवं कृषि वैज्ञानिकों की सराहना की। इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचाक अनुसंधान डाॅ. आर.के. बाजपेयी, निदेशक विस्तार डाॅ. एस.सी. मुखर्जी, निदेशक प्रक्षेत्र डाॅ. जी.के. दास एवं कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डाॅ. एम.पी. त्रिपाठी उपस्थित थे।