Chhattisgarh | मृदा एवं जल संरक्षण पर राष्ट्रीय कार्यशाला, प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित एवं संवर्धित करने के संबंध में हुई चर्चा
1 min readChhattisgarh | National workshop on soil and water conservation, discussion regarding conservation and promotion of natural resources
रायपुर। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के तत्वाधान में रायपुर में मृदा एवं जल संरक्षण पर आयोजित कार्यशाला में आज मिट्टी और नमी संरक्षण के लिए विभिन्न उपायों पर विस्तार से चर्चा हुई। इसके तहत देश के विभिन्न राज्यों के वन विभाग के अधिकारियों, केन्द्रीय टीम और वानिकी विशेषज्ञों ने प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित एवं संवर्धित करने के संबंध में परिचर्चा में हिस्सा लिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीसीसीएफ श्री व्ही. श्रीनिवास राव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नरवा विकास कार्यक्रम को भू-जल संवर्धन के लिए तेजी से संचालित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नरवा कार्यक्रम अंतर्गत अब तक 6395 नालों को पुनर्जीवित कर 22 लाख 92 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को उपचारित किया जा चुका है। कार्यशाला में इन उपलब्धियों के बारे में प्रेजेंटेशन दिया गया तथा नरवा विकास कार्यक्रम के विभिन्न पद्धतियों पर चर्चा की गई।
कार्यशाला में पीसीसीएफ एवं प्रबंध संचालक राज्य लघुवनोपज संघ अनिल राय ने कहा कि छत्तीसगढ़ वन बाहुल्य क्षेत्र है। यहां के वन उत्पादों से आय की असीम संभावनाएं हैं। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री बघेल की मंशा के अनुरूप 65 प्रकार के वनोत्पादों की समर्थन मूल्य पर खरीदी कर उनका वैल्यूएडिशन एवं प्रोसेसिंग का कार्य किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न वन उत्पादों का वैल्यूएडिशन कर सी-मार्ट के जरिये उनकी बिक्री भी की जा रही है, जिससे वनांचल में रहने वाले लोगों को रोजगार मिल रहा है और उनकी आमदनी भी सुनिश्चित हो रही है। अनिल राय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मिलेट मिशन का भी प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन हो रहा है।
कार्यशाला में एपीसीसीएफ अरुण पांडेय ने मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना की तारीफ करते हुए कहा कि इस योजना से मुख्यमंत्री की मंशानुरूप फलदार वृक्षों को प्रोत्साहन मिल रहा है तथा वनावरण में भी वृद्धि हो रही है। श्री पांडे ने कहा कि लक्ष्य के अनुरूप लगभग 36 हजार एकड़ में प्लांटेशन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना में किसानों द्वारा विशेष रूचि दिखाई जा रही है। राज्य में योजनांतर्गत अब तक 20 हजार से अधिक कृषकों का पंजीयन हो चुका है, परन्तु 23 हजार से अधिक हितग्राहियों द्वारा लगभग 36 हजार एकड़ निजी भूमि में मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना अंतर्गत वृक्षारोपण के लिए सहमति प्रदान कर दी गई है।
मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना अंतर्गत समस्त वर्ग के सभी इच्छुक भूमि स्वामी पात्र होंगे। इसके अलावा शासकीय, अर्धशासकीय तथा शासन के स्वायत्व संस्थान जो अपने स्वयं के भूमि पर रोपण करना चाहते हैं, पात्र होंगे। इसी तरह निजी शिक्षण संस्थाएं, निजी ट्रस्ट, गैर शासकीय संस्थाएं, पंचायतें, भूमि अनुबंध धारक, जो अपने भूमि में रोपण करना चाहते हैं, वे पात्र होंगे। मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है।
कार्यशाला में विभिन्न राज्यों से पहुंचे वानिकी विशेषज्ञ तथा अधिकारियों द्वारा अपने-अपने राज्य तथा क्षेत्र में भू-जल संवर्धन के कार्यों के बारे में अवगत कराया गया। इसके अलावा कार्यशाला में संसाधन प्रबंधन में भू-सूचना विज्ञान का उपयोग के बारे में बताया गया। यह तकनीक वन क्षेत्रों के मानचित्रण, वन सीमा निर्धारण, भू-जल संरक्षण अंतर्गत जल संरचनाओं के निर्माण हेतु उचित जगह का चुनाव में बहुत उपयोगी है। इस दौरान राष्ट्रीय कैम्पा प्राधिकरण के सीईओ सुभाष चन्द्रा ने भी मृदा एवं जल संरक्षण के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में वन धन योजना, वृक्षारोपण तथा लिडार तकनीक के संबंध में भी जानकारी दी गई तथा मृदा एवं जल संरक्षण के उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।