November 22, 2024

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मोटापा, तनाव और कुपोषण कपल्स में बढ़ा रहा इंफर्टिलिटी, देश में 2.30 करोड़ जोड़े नि:संतानता के शिकार…

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नि: संतानता की समस्या को झेल रही निशा शादी के आठ वर्ष के बाद भी मां नहीं बन सकी। उसे स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन हर माह आते पीरियड्स उसे उदास कर जाते। परिवार के लोग बार-बार पूछते कि निशा कोई गुड न्यूज। इस पर निशा निराश मन से ना करती और स्वयं से सवाल करती कि आखिर मैं गर्भधारण क्यों नहीं कर पा रही हूं। इस पर उसने प्रसूतिरोग विशेषज्ञ से संपर्क किया तो पता चला कि 36 साल की निशा के सभी टेस्ट रिजल्ट तो नॉर्मल थे, लेकिन उनके 34 साल के पति का स्पर्म काउंट बेहद कम था। यह कहानी निशा जैसी उन सभी महिलाओं की है, जो कहीं न कहीं नि:संतानता का दर्द झेल रही हैं। जांच में कभी कमी उनके सामने आती है तो कभी उनके पति में।

देश में शादीशुदा दंपतियों की फर्टिलिटी दर तेजी से घट रही है। अर्नस्ट एंड यंग की 2015 की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 10 से 15 प्रतिशत यानी करीब 2 करोड़ 30 लाख शादीशुदा जोड़े इंफर्टिलिटी यानी नि:संतानता के शिकार हैं। बच्चा पैदा न होने के मामले में समाज हमेशा से ही महिला को दोषी मानता आया है लेकिन हकीकत यह है कि इंफर्टिलिटी के 40 प्रतिशत मामलों में समस्या पुरुषों में होती है, जबकि 40 प्रतिशत मामलों में महिलाओं में दिक्कत होती है। बाकी बचे 20 प्रतिशत मामलों में दोनों में ही कोई दिक्कत होती है या फिर कोई दूसरा कारण भी हो सकता है।

शराब-सिगरेट की लत भी जिम्मेदार

भारतीय महिलाओं में इंफर्टिलिटी का मुख्य कारण पीसीओएस, फैलोपियन ट्यूब में बाधा, ओवेरियन रिजर्व में कमी और एंडोमीट्रिऑसिस है जबकि पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण स्पर्म काउंट में कमी, स्पर्म की गतिशीलता में कमी आदि की दिक्कत है। इंफर्टिलिटी के पीछे लाइफस्टाइल के साथ ही वातावरण का भी अहम रोल है। खाने में मौजूद कीटनाशक, एडिटिव्स, हवा और पानी के प्रदूषण से पुरुषों के स्पर्म की क्वॉलिटी और संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इसके अलावा कुपोषण, मोटापा, स्ट्रेस, शराब-सिगरेट की लत भी महिलाओं और पुरुषों दोनों की फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। साथ ही काम से जुड़ा स्ट्रेस और पति-पत्नी की अलग-अलग शिफ्ट भी उनके पर्सनल लाइफ पर असर डाल रही है। महिलाओं में कॉस्मेटिक्स का ज्यादा इस्तेमाल भी उन्हें बांझपन की ओर धकेल रहा है।

तनाव मुक्त रहें, वॉक, योग और ध्यान करें

संतान प्राप्ति के लिए दंपति तनाव न पालें। नियमित वॉक करें, योग और ध्यान करें। दंपति शराब और सिगरेट स्मोकिंग पूरी तरह से छोड़ दें। भारत में यौन संक्रमण से फैलने वाली बीमारियां जैसे ग्नोरिया और क्लामिडिया भी इंफर्टिलिटी की बड़ी वजह हैं। इसलिए सुरक्षा का ध्यान जरूर रखें। साथ ही अधिक उम्र में शादी करना और बच्चे पैदा करने के लिए भी लंबा इंतजार करने की वजह से भी इंफर्टिलिटी में तेजी सेइजाफा हो रहा है। जरूरी नहीं कि सभी को आईवीएफ की जरूरत हो गर्भधारण में समस्या का सामना कर रहे 80 प्रतिशत कपल्स को आईवीएफ की जरूरत नहीं होती क्योंकि इसकी जगह लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे सुधार कर, दवाइयां खाकर और इंट्रायूटेराइन इन्सेमिनेशन आईयूआई (महिला की बच्चेदानी में स्पर्म को सीधे डालना) के जरिए गर्भधारण हो जाता है। वैसे मामले जिसमें फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होता है या फिर पुरुष का स्पर्म काउंट बहुत ज्यादा कम होता है, ऐसी परिस्थितियों में ही आईवीएफ जैसे अत्याधुनिक ट्रीटमेंट की जरूरत हो।

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