जामिया-AMU में पुलिस एक्शन: सुप्रीम कोर्ट कल करेगा सुनवाई, CJI बोबडे बोले- सबसे पहले हिंसा रुके
1 min readदरअसल नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) का विरोध कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों की रविवार को पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई थी. सोमवार को अदालत खुलने के बाद वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने जामिया और अलीगढ़ का पूरा घटनाक्रम चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे के समक्ष उठाया. उन्होंने कहा, ‘हम आपसे अपील करते हैं कि इस मामले में पुलिस की बर्बरता पर सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान ले.’
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एसए बोबडे की अगुवाई वाली एक बेंच ने इस मामले पर सख्त रूप अपनाया और कहा कि यह सब फौरन बंद होना चाहिए. चीफ जस्टिस ने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि वे छात्र हैं, इसका मतलब यब नहीं कि वे कानून व्यवस्था अपने हाथ में ले सकते हैं. इस मामले में सुनवाई तभी होगी, जब चीज़ें शांत हों. अभी वह मन:स्थिति नहीं, जब हम कोई फैसला करें. पहले हिंसा रुकनी चाहिए.’
सीजेआई ने कहा, ‘हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन और अधिकारों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन विरोध के लिए छात्र अपने हाथ में कानून नहीं ले सकते. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता.’ उन्होंने साथ ही कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि पुलिस या छात्र निर्दोष हैं, लेकिन हिंसा रुकनी चाहिए. अगर किसी भी तरह की हिंसा हुई तो हम फिर आपके लिए कुछ नहीं करेंगे.’
वहीं अपनी याचिका में जयसिंह ने कहा कि उन्हें कई फोन कॉल्स आ रहे हैं जिसमें छात्रों का कहना है कि पुलिस एएमयू में बर्बरता कर रही है और कोई मदद नहीं मिल रही. उन्होंने कहा कि सैकड़ों छात्रों पर एफआईआर दर्ज की गई और कई अस्पताल में हैं. उन्होंने कहा कि किसी को तो जिम्मेदारी लेनी होगी. जयसिंह ने दावा किया कि देश भर में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सामने आ रहे हैं.