क्या राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलने से ज्यादा मैडल आ जाएंगे?-मनीष दयाल
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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रवक्ता एवं सचिव(रिसर्च) मनीष दयाल ने कहा केंद्र की भाजपा सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद पुरस्कार कर दिया। यह मोदीजी की संकीर्ण मानसिकता ही दर्शाती है। अच्छा होता कि मेजर ध्यानचंद के नाम पर एक अलग से पुरस्कार की घोषणा करते।
हकीकत तो यह है कि पिछले 5 वर्षो में खेल का बजट कम किया गया है। खिलाड़ियों को सरकार द्वारा सुविधा नहीं मिलती है।
हॉकी में 41 साल के बाद हम ब्रॉन्ज़ मैडल जीते है और ये हुआ है खिलाड़ियों के अथक प्रयासों से।खिलाड़ी पदक जीतते हैं तो पोस्टर खिलाड़ियों का नही, मोदी जी और उनके मंत्री जी अपनी फोटो लगा देते है।
लोग सवाल करेंगे कि राजीव गांधी जी का खेल में क्या योगदान रहा है? तो बता दूं कि राजीव गांधी जी 1982 में दिल्ली में हुये एशियाड गेम्स की ऑर्गनाइजिंग कमेटी के मेंबर रहे है। उनकी देखरेख में दिल्ली का विशाल जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम और इनडोर स्टेडियम, खेल गांव, सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम, करणी सिंह शूटिंग रेंज बने, और ये सब मात्र 2 वर्षो में बने। भारत एशियाड गेम्स में भारत का अच्छा प्रदर्शन रहा था। भारत ने 13 गोल्ड सहित कुल 57 मेडल्स जीते थे और 5 वी पोजिशन में रहा। भारत एक अच्छे मेजबान देश के रूप में पहली बार स्वयं को साबित किया।
एक बात बताइये, अहमदाबाद में भारत रत्न सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम क्यो कर लिया? क्या सरदार पटेल के कद से मोदी जी कद बड़ा हो गया? आखिर क्या साबित करना चाहते है।
वैसे, नरेंद्र मोदी जी को खुद का नाम बदलकर सत्यवादी हरिश्चन्द रख लेना चाहिये, क्या पता वे सच बोलने लगे?