November 22, 2024

The News Wave

सच से सरोकार

कच्चे तेल की कीमतों में अभूतपूर्व कमी और एक्साइज़ ड्यूटी में अभूतपूर्व वृद्धि- मनीष दयाल

1 min read
Spread the love

कच्चे तेल की कीमतों में अभूतपूर्व कमी और एक्साइज़ ड्यूटी में अभूतपूर्व वृद्धि- मनीष दयाल

@thenewswave.com.08 मई 2020

■आखिल भारतीय कांग्रेस रिसर्च विभाग के प्रदेश सचिव एवं pcc के पूर्व प्रवक्ता मनीष दयाल ने मोदी सरकार को आइना दिखते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तलहटी पर आ गई हैं। यह सुनने में अच्छा लगता है, उम्मीद जागती है कि कोरोना काल में कुछ तो अच्छा सुनने को मिला। मगर सच्चाई ये है कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी का फायदा जनता को नहीं मिलेगा। मंगलवार देर रात केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर लागू विशेष उत्पाद शुल्क में 10 और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर की भारी वृद्धि करने का एलान किया है। यह बहुत अजीब बात है कि मोदी सरकार ऐसे निर्णय रात को ही सुनाती है, जो जनता को मुसीबत में डालने वाला या जिससे जनता को लाभ न हो। इस निर्णय के अनुसार शुल्क वृद्धि 6 मई, 2020 से लागू हो गई है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक पेट्रोल व डीजल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क के तौर पर 8 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। इसके अलावा विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क के मद में पेट्रोल पर 2 रुपये और डीजल पर 5 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की जा रही है। इस कोरोना संकटकाल में राहत में वृद्धि का समाचार जनता के लिये दुर्लभ हो गया है।

■अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में कमी अभूतपूर्व है, पेट्रो उत्पादों पर एक्साइज़ ड्यूटी में वृद्धि भी अभूतपूर्व है। एकमुश्त पेट्रो उत्पादों शुल्क वृद्धि इतनी ज्यादा कभी नहीं की गई है। इस समय तो पेट्रो प्रोडक्ट में कमी का फायदा जनता को मिलना चाहिये था। इसका फायदा सिर्फ पेट्रोलियम उत्पादों से कंपनियों को है, जो निश्चित ही इसका फायदा अपने एम्प्लॉई की भी नहीं देंगे। फिर अर्थव्यवस्था को क्या लाभ हुआ, हालांकि अभी पेट्रोल का इस्तेमाल 70 प्रतिशत गिर गया। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मांग नहीं होने के कारण पिछले माह कच्चे तेल की कीमत निम्न स्तर पर पहुंच गई थी। यह 1999 के बाद से सबसे कम कीमत थी।

■मनीष दयाल ने कहा कि यह भी सच है कि आपदाकाल में पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग, खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग जैसे आवश्यक विभाग अनवरत अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। इन विभागों की गाड़ियाँ चल रही हैं, जहाँ निश्चित ही पेट्रोल व डीज़ल में होने वाला व्यय कम हो सकता था। पेट्रोल-डीज़ल में लगने वाला सरकार का पैसा बचता तो स्वास्थ्य कर्मियों व डॉक्टर्स के लिये पीपीई किट की आपूर्ति बेहतर बनाई जा सकती थी। आज कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए इसकी सर्वाधिक ज़रूरत है। मालवाहक वाहन ज़रूरी साधनों की आपूर्ति हेतु दौड़ रहे हैं, उनके पैसे बचते तो अर्थव्यवस्था को और ज्यादा फायदा होता।

■पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल, 2020 में सरकारी तेल कंपनियों ने औसतन 19.90 डॉलर प्रति बैरल की दर से कच्चे तेल की खरीद की है जबकि मार्च, 2020 में उन्होंने 33.36 डॉलर प्रति बैरल की दर से तेल खरीदा था। कोरोना वायरस और अमेरिका-रूस में तेल उत्पादन की लगी होड़ के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में अभूतपूर्व गिरावट हो रही है। इससे पेट्रोल-डीजल की लागत में भी बड़ी कमी आ रही है। पहले की तरह ही इस बार भी घटते अंतर्राष्ट्रीय भाव का फायदा रोकने का सिलसिला मोदी सरकार ने बरकरार रखा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *