ज़रा गौर करें ! हर किसी को नही रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत, अफवाहों पर ना दें ध्यान, विशेषज्ञों ने बताया …
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रायपुर । रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर कई तरह की अफवाएं लोगों में है। सभी को यह लग रहा है कि इस इंजेक्शन के बिना कोरोना संक्रमित का इलाज नामुमकिन है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि यह इंजेक्शन संजीवनी बूटी की तरह काम करती है लेकिन हर व्यक्ति को इसकी जरूरत हो यह भी जरूरी नहीं है। हर व्यक्ति के शरीर की अलग ही आवश्यकता होती है।
इसे लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को चिकित्सकों ने चुनौती दी है, जानियें किसने क्या कहा –
डाॅ भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के क्रिटिकल केयर विषेषज्ञ डाॅ ओ पी सुंदरानी ने कहा कि हर कोविड पॉज़िटिव मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता नही होती है। इससे केवल मॉडरेटली सीवियर और सीवीयर कोविड मरीजों को लाभ हो सकता है। पर यह भी दावे से नही कह सकते कि रेमडेसिविर लगाने से मरीज ठीक ही हो जाएगा या नही लगेगा तो ठीक नही होगा। ऐसा किसी रिसर्च में प्रमाणित नही हुआ है। बिना रेमडेसिविर के भी बहुत मरीज़ ठीक होते हैं और रेमडेसिविर लगा कर भी कई मरीज ठीक नही हो पाते हैं। इसलिए इस इंजेक्शन को लेकर ज्यादा घबराने की जरूरत नही है। इस दवाई से कुछ मरीजों में रिकवरी तेज हो जाती है यह पता चला है पर ऐसा कुछ ही मरीज़ों में हुआ है। उन्होने कहा कि मरीज़ अपनी मर्जी से यह इंजेक्शन न लगाएं। यह चिकित्सक के ऊपर छोड़ दें, जो उन्हे बेहतर इलाज लगेगा वे करेंगे।
डॉ प्रणीत फटाले सब रिजनल टीम लीडर विश्व स्वास्थ्य संगठन एन पी एस पी का कहना है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग कोविड 19 के मरीजों पर कितना प्रभावी होता है और किन मरीजों पर इसका असर सकारात्मक होता है। इसका कोई प्रमाण नही मिला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कराए गए परीक्षण में यह पाया गया कि इस इंजेक्शन के उपयोग से मरीजों की मृत्यु दर,मेकेनिकल वेंटीलेशन, क्लिनिकल सुधार, अस्पताल में रूकने की अवधि आदि पर भी कोई महत्वपूर्ण परिणाम नही दिखा है। उपलब्ध डाटा के आधार पर यह नही कहा जा सकता कि यह मरीज की संपूर्ण स्थिति में सुधार लाता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी एक स्टडी अनुसार कोविड-19 के उपचारों के सम्बंध में किए गए सबसे बड़े ट्रायल में भी रेमडेसिविर से बीमारी के दौरान या मृत्यु पर कोई परिमेय प्रभाव देखने को नहीं मिला है।
केन्द्र शासन ने भी हाल ही में इस दवाई के अंधाधुध उपयोग पर चिंता जताई और कहा कि डॉक्टरों को इसका उपयोग नैशनल कोविड प्रोटोकाल के अनुसार एवं केवल आक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों पर सोच-समझ कर करना चाहिए। यह एक इंवेस्टिगेशनल दवाई है।