State Foundation Day | हम ‘छत्तीसगढ़िया’ मना रहे हैं आज 21वां स्थापना दिवस, जानिए इसका इतिहास, शानदार सफर की झलकियां
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रायपुर। आज छत्तीसगढ़ अपना 21वां स्थापना दिवस मना रहा है। आज ही के दिन 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया था। साल 2000 में जुलाई में लोकसभा और अगस्त में राज्यसभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। राज्य के स्थापना दिवस के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा है। वैसे तो राज्य के स्थापना दिवस पर हर साल पांच दिन तक विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता आया है। इस साल 2 नवंबर को धनतेरस और 4 नवंबर को दीपावली पर्व है, इसलिए राज्योत्सव केवल दो दिन 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को ही सेलिब्रेट किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के बारे में –
1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया था। साल 2000 में जुलाई में लोकसभा और अगस्त में राज्यसभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी, जिसके बाद 4 सितंबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26वें राज्य के रूप में दर्ज हो गया।
छत्तीसगढ़ क्षेत्रफल के हिसाब से देश का नौवां बड़ा राज्य है और जनसंख्या की दृष्टि से इसका 17वां स्थान है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 28 जिले हैं।
छत्तीसगढ़ नाम के पीछे का इतिहास –
राज्य का पौराणिक नाम तो कौशल राज्य है, जो भगवान श्रीराम की ननिहाल कहा जाता है। लगभग 300 साल पहले गोंड जनजाति के शासनकाल के दौरान इस राज्य को छत्तीसगढ़ नाम मिला था। छत्तीसगढ़ के नाम को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं पर असल कारण था गोंड राजाओं के 36 किले। जिसे किलों को गढ़ भी कहा जाता था। इसी कारण इस क्षेत्र का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा। ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि कल्चुरी राजाओं द्वारा 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए गए थे। इस इलाके को कोसल या दक्षिण कोसल के तौर पर जाना जाता था। यह उस समय की बात है जब रामायण काल से 17वीं शताब्दी का दौर चल रहा था। कल्चुरी राजाओं के समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी आज के समय के बिलासपुर के पास स्थित शहर रतनपुर, हुआ करता था। शिवनाथ नदी के उत्तर में कल्चुरियों की रतनपुर शाखा के अंतर्गत 18 गढ़ और दक्षिण में रायपुर शाखा के अंतर्गत 18 गढ़ बनाए गए थे।
रतनपुर राज्य के अधीनस्थ 18 गढ़ –
रतनपुर, विजयपुर, पंडर भट्टा, पेंड्रा, केन्दा, बिलासपुर, खरौद, मदनपुर (चांपा), कोटगढ़, कोसगई (छुरी), लाफागढ़ (चैतुरगढ़), उपरोड़ागढ़, मातिनगढ़, करकट्टी-कंड्री, मारो, नवागढ़, सेमरिया।
रायपुर के 18 गढ़ों के नाम –
रायपुर, सिमगा, ओमेरा, राजिम, फिंगेश्वर, लवन, पाटन, दुर्ग, सारधा, सिरसा, अकलबाड़ा, मोहंदी, खल्लारी, सिरपुर, सुअरमार, सिंगारपुर, टैंगनागढ़, सिंघनगढ़ थे।
छत्तीसगढ़ की राजनीति –
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के समय अजीत जोगी पहले मुख्यमंत्री बने। लेकिन 2003 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी के डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया। रमन सिंह लगातार तीन बार प्रदेश के सीएम रहे। लेकिन 2018 में कांग्रेस ने जोरदार वापसी की और भूपेश बघेल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। वहीं अगर लोकसभा की बात करें तो राज्य में 11 सीटें हैं। वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 69 पर कांग्रेस का कब्जा है। लोकसभा में बीजेपी के पास 9 जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ दो सीटें हैं।
छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति –
छत्तीसगढ़ की संस्क़ति, लोकसंस्कृति और जनजातीय संस्कृति में झलकती है। यहां के लोकनृत्य एवं जनजातीय नृत्य पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ के लोकगीतों में पंडवानी, भरथरी, चंदैनी, ढोलामारू, ददरिया, बांस गीत प्रमुख हैं। वहीं लोकनृत्यों में सुआ, राउत नाचा, करमा, ककसार, गौर नृत्य प्रमुख है।
प्राकृतिक सौंदर्य वाला राज्य –
छत्तीसगढ़ प्राकृतिक रुप से अत्यंत संपन्न राज्य है। छत्तीसगढ़ में तीन राष्ट्रीय उद्यान-गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान है, जो सहज ही यहां आने वाले लोगों को अपनी भव्यता और सुंदरता से मोह लेते हैं। इसके साथ ही यहां 11 वन्यजीव अभयारण्य हैं। राज्य में कुल 4 टाइगर रिजर्व भी हैं। वन क्षेत्र की दृष्टि से छत्तीसगढ़ देश में चौथा और क्षेत्रफल की दृष्टि से तीसरा स्थान है।
प्रमुख पर्यटक स्थल –
चित्रकोट फॉल्स :
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर से 39 किमी दूर इंद्रावती नदी पर चित्रकोट जलप्रपात बनता है। दुनियाभर से इस चित्रकोट को देखने के लिए लाखों पर्यटक आते हैं। अपने घोडे़ की नाल समान मुख के कारण इस जल प्रपात को भारत का निआग्रा भी कहा जाता है।
नंदनवन जंगल सफारी :
रायपुर के दक्षिणी छोर पर खंडवा गांव के नजदीक ‘नंदनवन जंगल सफारी’ का निर्माण किया गया है। यह एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी है। नया रायपुर में करीब 800 एकड़़ के क्षेत्र में 200 करोड़ रुपए की लागत से यह मानव निर्मित जंगल सफारी बनी है। इस नंदनवन पार्क में सैलानी ‘बाघ सफारी’ (टाइगर सफारी), भालुओं की ‘बीयर सफारी’ और ‘लायन सफारी’ को देख सकते हैं।
पुरखौती मुक्तांगन :
पुरखौती मुक्तांगन नया रायपुर स्थित एक पर्यटन केंद्र है। मुक्तांगन 200 एकड़ भूमि पर फैला एक तरह का खुला संग्रहालय है, जहाँ पुरखों की समृद्ध संस्कृति को संजोया गया है। यह परिसर बहुत ही सुंदर ढंग से हमें छतीसगढ़ की लोक-संस्कृति से परिचित करता है। वनवासी जीवन शैली और ग्राम्य जीवन के दर्शन भी यहाँ होते हैं।
भोरमदेव मंदिर :
छत्तीसगढ़ के कवर्धा शहर में स्थित भोरमदेव मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। भोरमदेव मंदिर में खजुराहो मंदिर की झलक दिखाई देती है, इसलिए इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है।
डोंगरगढ़ :
डोंगरगढ़ को छत्तीसगढ़ का शीर्ष तीर्थस्थल माना जाता है। यह माता बम्लेश्वरी का प्रमुख धाम है। यहां माता रानी के दर्शन करने देशभर से हर साल लाखों लोग आते हैं। यह मंदिर लगभग 1,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां बड़ी बम्लेश्वरी और छोटी बमलेश्वरी का मंदिर है।
राजिम :
राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। महानदी, पैरी नदी तथा सोंढुर नदी का संगम होने के कारण इसे छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम कहा जाता है। प्रतिवर्ष यहाँ पर माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक एक विशाल मेला लगता है। छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए यह स्थान आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां राजीव लोचन भगवान का प्रसिद्ध मंदिर भी है।
दंतेश्वरी माता मंदिर :
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी माता मंदिर को 52वां शक्तिपीठ भी गिना जाता है। मान्यता है कि यहां देवी सती का दांत गिरा था। इसी पर इस इलाके का नाम दंतेवाड़ा पड़ा। मंदिर का निर्माण 14वीं सदी में चालुक्य राजाओं ने दक्षिण भारतीय वास्तुकला से बनावाया था।
छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियां :
छत्तीसगढ़ में कई प्रमुख नदिया हैं। महानदी को छत्तीसगढ़ प्रदेश की जीवन रेखा और छत्तीसगढ़ की गंगा कहा जाता है। शिवनाथ नदी महानदी की सहायक नदी है। इसी तरहहसदेव नदी, अरपा नदी, रेणुका नदी, मनियारी नदी, इन्द्रावती नदी प्रदेश की प्रमुख नदियां हैं।