समाजसेवी युवा नेता देवेन्द्र प्रताप सिंह बुहाना ने महा ‘राणा’ प्रताप की पुण्यतिथि पर किया नमन

रायपुर | अपने पराक्रम और शौर्य से मुगलों के होश उड़ाने वाले महाराणा प्रताप जी एक ऐसे योद्धा थे जिनके नस नस में देशभक्ति बस्ती थी| राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में महाराजा उदयसिंह और मां रानी जयवंताबाई के घर जन्मे महाराणा प्रताप ने बचपन में ही घुड़सवारी और तलवारबाजी पर महारत हासिल कर ली थी| महाराणा प्रताप के समय में दिल्ली में मुगल सम्राट अकबर का शासन था। अकबर भारत के सभी राजा-महाराजाओं को अपने अधीन कर स्वयं की सत्ता स्थापित करना चाहता था। अकबर और उसकी विशाल सेना के सामने कई राजपूत राजा-महाराजा घुटने टेक चुके थे।
वहीँ, अकबर ने कई बार कई योजनाओं के साथ महाराणा प्रताप के पास युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति दूत के साथ कई प्रस्ताव भी भेजे किन्तु महाराणा प्रताप ने सभी प्रस्ताव अस्वीकार कर अपनी धरती की पूर्ण स्वतंत्रता की मांग को लेकर मरते दम तक संघर्ष किया।
कहा जाता है कि जंगलों में रहकर तैयारी कर महाराणा प्रताप ने मुगलों के कब्जे वाली अपनी काफी भूमि वापस जीत ली थी। 1596 में महाराणा प्रताप को शिकार खेलते समय चोट लगी जिससे वे उबर नहीं पाए और 19 जनवरी 1597 को 57 वर्ष की उम्र में चावड़ में उनका देहांत हो गया। वीर योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती पर समाजसेवी, युवा नेता देवेन्द्र प्रताप सिंह बुहाना ने उन्हें कोटि-कोटि नमन किया है और साथ ही कहा- महाराणा प्रताप जी की देशभक्ति, उनकी वीरता और उनके शौर्य से हमे प्रेरणा लेकर समाज और देश के प्रति अग्रसर रहना चाहिए।