Sangli Case | 20 जून को मिले थे दो घरों में 9 शव, लोगों ने समझा आत्महत्या पर निकला हत्याकांड, 2 गिरफ्तार
1 min readOn June 20, 9 bodies were found in two houses, people thought that the massacre turned out to be suicide, 2 arrested
सांगली। महाराष्ट्र के सांगली जिले में 20 जून को हुई 9 लोगों की मौत मामले में नया मोड़ आ गया है। अब यह मामला सामूहिक हत्याकांड का बन गया है, जबकि पहले आत्महत्या का मामला माना जा रहा था। पुलिस जांच में पता चला है कि दो भाइयों के परिवार को एक तांत्रिक और उसके ड्राइवर ने जहर देकर मार डाला था। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। 20 जून को म्हैसल गांव में एक किलोमीटर के फासले पर मौजूद दोनों भाइयों के घरों में परिवार के सदस्यों के 9 शव मिले थे। इनमें भाई एक टीचर और दूसरा पशुओं का डॉक्टर था।
पुलिस महानिरीक्षक (कोल्हापुर रेंज) मनोज कुमार लोहिया के मुताबिक, तांत्रिक अब्बास ने वनमोर भाइयों (डॉ. माणिक वनमोरे और पोपट वनमोरे) के लिए गुप्त धन खोजने का वादा किया था और इसके एवज में उसने मोटी रकम (करीब 1 करोड़ रुपए) भी लिए थे, जब गुप्त धन नहीं मिला तो वनमोरे बंधु तांत्रिक से अपनी रकम वापस मांगने लगे, लेकिन अब्बास रुपए वापस नहीं करना चाहता था। दबाव बढ़ा तो उसने वनमोरे बंधुओं के पूरे परिवार को ही रास्ते से हटाने की योजना बनाई।
छत पर भेजकर एक-एक करके बुलाया, फिर पिलाई चाय –
शुरुआती जांच के अनुसार, मुख्य आरोपी अब्बास मोहम्मद अली बागवान 19 जून को अपने ड्राइवर धीरज चंद्रकांत सुरवशे के साथ म्हैसल गांव में वनमोरे बंधुओं के घर पहुंचा, जहां तांत्रिक ने छिपे हुए खजाने को खोजने के लिए तंत्र-मंत्र की क्रिया शुरू की। इस दौरान उसने परिवार के सदस्यों को उनके घरों की छत पर भेजा, फिर उन्हें एक-एक करके नीचे बुलाया और चाय पीने के लिए कहा, जिसमें पहले से कोई जहरीला पदार्थ मिला हुआ था। अंदेशा जताया जा रहा है कि इस पेय को पीने के बाद वनमोरे परिवार के लोगों ने बेहोशी के बाद दम तोड़ दिया।
ये था पूरा मामला –
दरअसल, बीते 20 जून को सांगली जिले के म्हैसल गांव में टीचर के रूप में कार्यरत पोपट वनमोर (54), उनके भाई और पशु चिकित्सक डॉ माणिक वनमोर (49) समेत उनकी 74 साल की मां, पत्नियों समेत चार बच्चे अलग अलग घरों में मृत पाए गए थे। दोनों के घर के बीच 1.5 किमी की दूरी है। पुलिस को दोनों ही घरों से सुसाइड नोट मिले थे।
सिर्फ एक शव के पास ही शीशी मिली थी –
पुलिस को शुरू में लगा कि यह सामूहिक खुदकुशी का मामला है, क्योंकि सुसाइड नोट में मृतक परिवार ने कर्ज देने वाले छोटे-बड़े साहूकारों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था। माना जा रहा है कि गुप्त धन की लालसा में वनमोरे बंधुओं ने कर्ज भी लिया हुआ था। इस मामले में 25 आरोपियों में से 19 को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार भी कर लिया गया था, लेकिन पुलिस की जांच यहीं नहीं ठहरी, क्योंकि घटनास्थल से 9 में से सिर्फ एक शव के साथ ही जहर की शीशी मिली थी।
फिर बढ़ता ही गया संदेह –
उधर, सुसाइड नोट्स की जांच करने पर भी पुलिस को लगा कि कुछ तो गड़बड़ है। क्योंकि आमतौर पर सुसाइड नोट में व्यक्ति पहले कारण लिखता है और फिर लोगों को दोषी ठहराता है, जबकि इस मामले में देखा गया कि कुछ लोगों के नाम सुसाइड नोट की शुरुआत में ही लिख दिए गए थे। वहीं, इस बात का भी कहीं जिक्र नहीं किया गया कि परिवार खुदकुशी करना चाहता था। इससे ऐसा प्रतीत हुआ कि आरोपी तांत्रिक अब्बास ने दोनों भाइयों को किसी बहाने से साहूकारों के नाम लिखने के लिए गुमराह किया होगा ताकि इस मामले को सामूहिक आत्महत्या के तौर पर दर्शाया जा सके।
सीसीटीवी फुटेज में दिखी गाड़ी –
इसी संदेह के चलते पुलिस ने मृतक वनमोरे परिवार की पुरानी गतिविधियों को खंगाला। इस पड़ताल में एक गाड़ी सामने आई। फिर सड़कों पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई तो उस वाहन की लोकेशन सोलापुर में पाई गई। खोजबीन में वाहन का इस्तेमाल करने वाला अब्बास मोहम्मद अली बागवान निकला।
उधर, डॉ. माणिक वनमोरे और पोपट वनमोरे के गुप्त धन के बारे में कुछ लोगों से बातचीत हो रही थी। देर रात तक दोनों भाई इस बारे में फोन कॉल पर बात करते रहते थे। पुलिस ने उनकी कॉल डिटेल्स निकाली और तफ्तीश की तब भी यही दो और नाम अब्बास मोहम्मद अली बागवान और धीरज चंद्रकांत सुरवशे सामने आए थे।
सांगली जिले के एसपी दीक्षित गेदाम ने कहा कि मुख्य आरोपी अब्बास बागवान और सुरवासे को सोलापुर से गिरफ्तार कर लिया गया है। दोनों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 के तहत केस दर्ज किया गया है। आरोपियों से पूछताछ जारी है। आज दोनों को सांगली कोर्ट में पेश किया जाएगा।