September 21, 2024

The News Wave

सच से सरोकार

रायपुर : खाद्य प्रसंस्करण और वन उत्पादों के वेल्यू एडिशन के क्षेत्र में काम करने के इच्छुक एनजीओ को मिलेगा हर संभव सहयोग: भूपेश बघेल

1 min read
Spread the love

रायपुर । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि खाद्य प्रसंस्करण, लघु वनोपजों और वनौषधियों के वेल्यू एडिशन तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं के कौशल उन्नयन के क्षेत्र में काम करने की इच्छुक गैर सरकारी संगठनों को राज्य सरकार हर संभव सहयोग देगी। मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘पेन आईआईटी ग्लोबल ई-कॉनक्लेव’ में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में इन क्षेत्रों में काम करने की काफी संभावनाएं हैं। इन क्षेत्रों में काम करने की इच्छुक संस्थाओं का छत्तीसगढ़ में स्वागत है।
कॉन्क्लेव में राज्यसभा सांसद जयराम रमेश के साथ चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के 44 प्रतिशत भू-भाग में वन हैं। यहां लघु वनोपजों और वनौषधियों की विपुल संपदा है। छत्तीसगढ़ में इनके अलावा फल-फूल, कृषि और उद्यानिकी फसलों का अच्छा उत्पादन होता है। कोदो-कुटकी सहित अनेक ऐसे उत्पाद हैं, जिनकी पूरी दुनिया में मांग है, यदि छत्तीसगढ़ के इन उत्पादों में वेल्यू एडिशन होता है तो स्थानीय युवाओं, महिलाओं को रोजगार के अच्छे अवसर मिलेंगे और उत्पादकों को उनकी कीमत का अच्छा मूल्य मिलेगा। बघेल ने वेल्यू एडिशन और तैयार उत्पादों की मार्केटिंग में भी पेन आईआईटी संस्थाओं से सहयोग का आग्रह किया।
बघेल ने ग्लोबल ई-कॉनक्लेव में कोविड-19 संक्रमण से बचाव और रोकथाम के उपायों, लॉकडाउन के दौरान आर्थिक गतिविधियों को चलाए रखने, मनरेगा और लघु वनोपजों के संग्रहण से मजदूरों और वनवासियों को रोजगार और आय का जरिया मुहैया कराने, नक्सली चुनौती से निपटने की राज्य सरकार की रणनीति पर विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कृषि-उद्यानिकी, लघु वनोपजों और वनौषधियों के व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार द्वारा बायर्स-सेलर्स मीट का आयोजन किया गया था, जिसमें अनेक देशों की 128 संस्थाओं ने हिस्सा लिया। राज्य सरकार द्वारा रायपुर में कार्गो परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए केन्द्रीय उड्डयन मंत्रालय से पहल की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लाख का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है। इसे और अधिक बढ़ावा देने के लिए लाख उत्पादन को खेती का दर्जा दिया गया है। राज्य सरकार कोसा उत्पादन को भी कृषि का दर्जा देने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है। धान और गन्ना से एथेनॉल के उत्पादन के लिए प्लांट लगाने के लिए निविदा भी बुलाई गई है। प्रदेश में आज भी 70 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं। प्रदेश के सभी विकासखण्डों में खाद्य प्रसंस्करण और वेल्यू एडिशन के लिए संयंत्र लगाने की काफी संभावना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान भी छत्तीसगढ़ में जरूरी आर्थिक गतिविधियों को चालू रखा गया। मनरेगा के काम बड़े पैमाने पर प्रारंभ किए गए, जिनमें अधिकतम 26 लाख लोगों को काम मिला। लघु वनोपजों के संग्रहण का काम भी चलता रहा, 2500 रूपए में धान खरीदी, किसानों की ऋण मुक्ति जैसे उपायों से विश्वव्यापी मंदी का असर छत्तीसगढ़ में नहीं पड़ा। राज्य सरकार का यह प्रयास रहा कि लोगों के पास पैसा आए।
कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बचाव के उपायों के संबंध में मुख्यमंत्री ने बताया कि विदेशों से आने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें होम क्वारेंटाइन में रखा गया। लॉकडाउन के दौरान लगभग साढ़े छह लाख मजदूर और अन्य लोग छत्तीसगढ़ लौटे। छत्तीसगढ़ के लगभग सभी उद्योगों में काम प्रारंभ हो गया है, जिनमें डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिला है। लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ में सबसे ज्याद स्टील का उत्पादन हुआ। लॉकडाउन के दौरान मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को भी जारी रखा गया। इसके परिणाम स्वरूप कुपोषित बच्चों की संख्या में 13 प्रतिशत की कमी आयी। मुख्यमंत्री ने ग्लोबल कॉन्क्लेव में सुराजी गांव योजना ‘नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी’ योजना, गोधन न्याय योजना, वृक्षारोपण अभियान की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों का राज्य सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है। राज्य सरकार ने लोहाण्डीगुडा में 1700 आदिवासियों से अधिग्रहित की गई 4200 एकड़ जमीन लौटाई, निरस्त किए गए वन अधिकार पट्टों का परीक्षण कर फिर से पात्र हितग्राहियों को वन अधिकार मान्यता पत्र बांटने का काम प्रारंभ किया है। अब तक प्रदेश में साढ़े चार लाख वनाधिकार पट्टे बांटे जा चुके हैं। आदिवासी इलाकों सहित सभी इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना प्रारंभ की गई, जिसके अच्छे परिणाम मिले। सुकमा में 13 साल से बंद हो चुके स्कूलों को फिर से प्रारंभ किया गया। बस्तर और सरगुजा में स्थानीय युवाओं की तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों में भर्ती के लिए कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड का गठन किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *