President Draupadi Murmu honored tribal heroes in Surguja
अंबिकापुर/रायपुर। जनजातीय गौरव दिवस 2025 के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 20 नवंबर को सरगुजा जिले के पीजी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित भव्य समारोह में शामिल हुईं। कार्यक्रम में राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और केंद्रीय व राज्य मंत्रिमंडल के कई सदस्यों सहित सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
जनजातीय नायकों और परिजनों का सम्मान
कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुर्मु ने विभिन्न जनजातीय समुदायों के प्रमुखों, पीवीटीजी समुदाय के प्रतिनिधियों और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले जनजातीय नायकों के परिजनों से भेंट कर सम्मानित किया।
उन्होंने सोनाखान क्रांति के जननायक शहीद वीर नारायण सिंह, परलकोट क्रांति के शहीद गेंदसिंह, जंगल सत्याग्रह, भूमकाल और झंडा सत्याग्रह के प्रमुख जननायकों के परिजनों से मिलकर उनका सम्मान किया।
जनजातीय समाज प्रमुखों से सौजन्य भेंट
राष्ट्रपति ने बिरहोर, अबूझमाड़िया, बैगा, पहाड़ी कोरवा, उरांव, नगेशिया, खैरवार, कंवर, नागवंशी, मुरिया, गोंड और चेरवा जनजातियों के प्रमुखों से मुलाकात कर उनके हालचाल पूछे। राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समाज भारत की संस्कृति और मान्यताओं का अभिन्न हिस्सा है और उनके उत्थान के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है।
बसंत पंडो से विशेष मुलाकात
कार्यक्रम का सबसे भावुक क्षण तब आया जब राष्ट्रपति मुर्मु ने पंडो जनजाति के बसंत पंडो से मुलाकात की। बसंत पंडो ने राष्ट्रपति को बताया कि वर्ष 1952 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें 8 वर्ष की उम्र में गोद लिया था, जिसके बाद पंडो समाज को “राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र” कहलाने का अनोखा गौरव प्राप्त हुआ।
राष्ट्रपति मुर्मु ने बसंत पंडो को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया और कहा “आप मेरे भी पुत्र की तरह हैं।” उनकी यह बात सुनकर कार्यक्रम स्थल पर भावुक वातावरण बन गया।
ऐतिहासिक और प्रेरणादायी आयोजन
जनजातीय गौरव दिवस के इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम में हजारों लोग उपस्थित रहे। राष्ट्रपति ने जनजातीय नायकों के योगदान को देश की संकल्प शक्ति बताया और कहा कि सरकार जनजातीय समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
