Poop Pants | ईको फ्रेंडली है गोबर पैंट, छत्तीसगढ़ में बन रहा है गोबर पैंट निर्माण का मजबूत नेटवर्क, 45 इकाईयों को मंजूरी, 13 इकाईयां प्रारंभ
1 min readPoop Pants | Dung pants are eco friendly, a strong network of cow dung pants manufacturing is being built in Chhattisgarh, 45 units approved, 13 units started
रायपुर. छत्तीसगढ़ में गोबर पैंट की मांग और उसकी लोकप्रियता को देखते हुए गोबर पैंट इकाईयों का मजबूत नेटवर्क विकसित किया जा रहा है। राज्य में अब तक 45 पैंट इकाईयों की मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें 13 इकाईयां शुरू की जा चुकी है और 32 नई इकाईयां तैयार की जा रही है। गौठानों में विकसित किए जा रहे रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में गोबर से पैंट बनाने की इकाईयां स्थापित की जा रही है। इन इकाईयों मेें स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को नियमित रूप से रोजगार भी मिल रहा है।
गोबर पैंट ईको फ्रेंडली होने के साथ-साथ बैक्टिरिया और फंगस रोधी है। यह पैंट कई रंगों में उपलब्ध है। इस पैंट के उपयोग से घरों के तापमान में भी कमी आती है। यह तुलनात्मक रूप से ब्रांडेड कम्पनियों के पैंट के मुकाबले सस्ता है। वहीं इसकी गुणवत्ता भी ब्रांडेड पैंट के बराबर है। गोबर पैंट के इन्हीं गुणों के कारण इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।
राज्य शासन द्वारा भी इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पहल की जा रही है। हाल में ही लोक निर्माण विभाग द्वारा एसओआर में इसे शामिल कर लिया गया है। अब शासकीय भवनों की रंगाई-पोताई गोबर पैंट से की जाएगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस फैसले से गोबर से पैंट बनाने की इकाईयों को मजबूती मिलेगी। उनका कारोबार बढ़ेगा। इससे ग्रामीणों को नियमित रूप से रोजगार भी मिलेगा। बालोद जिला राज्य का पहला कलेक्टोरेट है, जिसकी रंगाई-पोताई गोबर पैंट से की गई है। गोबर पैंट बनाने की इकाईयों में इमल्शन डिस्टेम्पर और पुट्टी भी तैयार की जा रही है।
ऐसे तैयार होता है पैंट
गोबर से पेंट बनाने की प्रक्रिया में पहले गोबर और पानी के मिश्रण को मशीन में डालकर अच्छी तरह से मिलाया जाता है और फिर बारीक जाली से छानकर अघुलनशील पदार्थ हटा लिया जाता है। फिर हाइड्रोजन परोक्साइड और सोडियम हाइड्रोक्साइड जैसे ब्लीचिंग रियजेंट का उपयोग करके उसे ब्लीच किया जाता है तथा स्टीम की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। उसके बाद सी.एम.सी नामक पदार्थ प्राप्त होता है। इससे डिस्टेम्पर और इमल्शन के रूप में उत्पाद बनाए जाते हैं। लगभग एक लीटर पैंट में 20 प्रतिशत कार्बोक्सि मिथाइल सेल्यूलोज (सी.एम.सी.) तथा 80 प्रतिशत अन्य रसायन का उपयोग किया जाता है। गोबर पैंट की हर इकाई में प्रतिदिन 200 लीटर पैंट बनाया जा रहा है।
गोबर पैंट की इकाईयां
गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए कुल 45 पेंट उत्पादन यूनिट की स्वीकृति दी गई है। जिसमें 13 की स्थापना पूरी कर वहां उत्पादन शुरू कर दिया गया है। रायपुर जिले में 2 यूनिट स्थापित हुई है, जबकि कांकेर, दुर्ग, बालोद, कोरबा, कोरिया, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा, बीजापुर, बेमेतरा, सूरजपुर एवं बस्तर जिले में 1-1 यूनिट स्थापित एवं क्रियाशील हो चुकी हैं।
30 हजार लीटर गोबर पेंट उत्पादित
रायपुर जिले की 2 यूनिटों में अब तक सर्वाधिक 11 हजार लीटर, कांकेर में 7768 लीटर, दुर्ग में 2900, बालोद में 700, कोरबा में 284, कोरिया में 800, कोण्डागांव में 2608, दंतेवाड़ा में 1443, बीजापुर में 800, बेमेतरा में 300, सूरजपुर में 500 एवं बस्तर में 1160 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन हुआ है। उत्पादित पेंट का विक्रय भी किया जा रहा है।