छत्तीगढ़ में PM आवास योजना के घर हो गए चोरी, सरकारी कागज में नाम लेकिन हकीकत में कुछ नहीं…
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@thenewswave.com रायपुर: छत्तीसगढ़ में बरसात और कोरोना के बीच लोगों की छत से खेल हो गया, पेंड्रा ज़िले में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत लाभार्थियों के घर चोरी हो गए. यकीन जानिये बाकायदा एफआईआर भी दर्ज हुई है. वहीं महासमुंद जिले में कई परिवार सड़क पर हैं घर तोड़ दिये, लेकिन नई किश्त अबतक नहीं मिली.छत्तीसगढ़ के पेंड्रा में उषा और गुड्डा रौतेल के घर चोरी हो गए, सरकारी कागज में घर इनके नाम है, पूरे बने हुए, हकीकत में नहीं.
सवाल पूछने पर गुड्डा रौतेल खुद सवाल पूछते हैं, नाराज़गी से कहते हैं कहां बना है, सामने फोटो खींच लिया आज बनेगा कल बनेगा सब बेवकूफ बना रहे हैं कब से घुमा रहे हैं, मैं नहीं जानता मेरा आवास चोरी हो गया.
वहीं ऊषा कहती हैं नहीं बना है घर, बना होता तो वहीं रहते पता नहीं साहब कौन क्या किया है घर बन गया तो वहां रहते, अभी भाई के घर में हैं. मामले में एफआईआर दर्ज हो गई है, प्रशासन कहता है जांच करेंगे. इलाके के इंस्पेक्टर आई तिर्की ने कहा गुड्डा रौतेल ने इस बात की शिकायत दर्ज कराई है कि पिता के नाम पर स्वीकृत मकान मौजूद नहीं है. मामले में प्राथमिक जांच जारी है, कोई अगर दोषी पाया गया, तो संबंधित सभी अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी.
वहीं कलेक्टर डी सिंह ने भी कहा यह मामला मेरे संज्ञान में आया है. मैंने संबंधित अधिकारी को जांच का आदेश दिया है और रिपोर्ट मांगी है. दोनों लाभार्थियों को घर दिलाना हमारी पहली प्राथमिकता है। साथ ही दोषियों को सजा दिलवाना भी.
उधर, महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक में कसीबाहरा गांव में रहने वाले भगेला यादव और रजनी यादव के तीन बच्चे शादी के बाद अलग रहते हैं, कच्चे झोंपड़े में रहने वाले इन लोगों ने पक्के घर का सपना देखा, आवेदन दिया, साल भर पहले 25,000 की पहली किश्त भी मिल गये, लेकिन 12 हजार 366 हितग्राहियों के साथ इनकी भी दूसरी किश्त अटकी है. जो मकान 6 महीने तक पूरा होना था वो साल भर से बना नहीं है. बारिश में टूटे फूटे कच्चे कमरे पर पाॅलीथिन और जुगाड़ के सामान से छत बनाकर रहते हैं एक ही किश्त मिली है बस, ऐसे ही झोंपड़े में पन्नी वगैरह डाल कर रहते हैं. पूछने पर कि घर कबतक बनेगा वो कहते हैं कौन जाने साहब कितने दिन लगेंगे.
2022 तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2 करोड़ 95 लाख घर बनाने का लक्ष्य है. इनमें से दो करोड़ 21 लाख आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं. अभी तक एक करोड़ चार लाख आवास बने हैं. कोरोना संक्रमण के चलते मामले में कुछ देर हुई है लेकिन ये भी सच है कि केन्द्र और राज्यों की लेटलतीफी का अंजाम गरीब भुगत रहे हैं.