अब अभिभावक तय करेंगे फीस, अशासकीय स्कूल शुल्क विनियमन विधेयक पारित हुआ
1 min readRaipur/thenewswave.com स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा, विधानसभा चुनाव के जन घोषणापत्र में हमने इसका वादा किया था, ताकि स्कूलों की मनमानी को रोका जा सके। अभी कुल लोग हाईकोर्ट चले गए हैं। हाईकोर्ट ने भी कहा कि केवल ट्यूशन फीस ले सकते हैं, इसके बाद भी शिकायतें आ रही हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए समितियां बनेंगी।
भाजपा ने किया विरोध
भाजपा नेताओं ने अभिभावकों की समिति का विरोध किया है। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, आप शुल्क नियंत्रित करें लेकिन निजी स्कूलों की स्वायत्तता को नियंत्रित न करें। कल को कलेक्टर राजनीतिज्ञों को समिति में नियुक्त कर देंगे, वे लोग स्कूलों के संचालन को दुरुह कर देंगे। काम नहीं करने देंगे। अजय चंद्राकर ने राज्य स्तरीय समिति का अध्यक्ष स्कूल शिक्षा मंत्री को बनाने पर आपत्ति की। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की। जकांछ विधायक धर्मजीत सिंह ने भी मनमानी की आशंका जताई।
एक नजर में जानें क्या है इस कानून में
स्कूल स्तरीय समिति में प्रबंधन और अभिभावकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। विद्यालय का प्रबंधक इसका अध्यक्ष होगा। जिला स्तरीय समिति में कलेक्टर अध्यक्ष होंगे। डीईओ सचिव होंगे। कलेक्टर द्वारा नामित एक शिक्षाविद, कानूनविद और लेखाधिकारी के अलावा स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के दो-दो प्रतिनिधि होंगे। राज्य स्तरीय समिति अधिकारियों ने बनेगी, जिनका कार्यकाल 2 वर्ष होगा। स्कूल शिक्षा मंत्री इसकी अध्यक्षता करेंगे।
– राज्य स्तरीय समिति, जिला और स्कूल स्तरीय समिति को सामान्य निर्देश जारी करेगी जो बाध्यकारी होगा।
– विद्यालय प्रबंधन समिति के सभी सदस्य व्यक्तिगत और सामुहिक रूप से कानून का पालन करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
– निर्धारित शुल्क से अधिक लेने पर 50 हजार रुपए अथवा ली गई फीस का दोगुना जो भी ज्यादा हो का जुर्माना देना होगा।
– उसके बाद उल्लंघन पर जुर्माना एक लाख रुपया अथवा आधिक्य शुल्क का चार गुना देना होगा।
– अल्पसंख्यक संस्थाओं से संचालित स्कूलों पर यह कानून लागू नहीं होगा।
हाईकोर्ट में 2013 में दायर याचिका पर सुनवाई चल रही
प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस लिए जाने के खिलाफ जन अधिकार परिषद ने 2013 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने प्रदेश के स्कूलों में शिक्षण शुल्क में एकरूपता लाने के लिए फीस नियामक आयोग के गठन करने की मांग की है। इस पर सुनवाई जारी है। हाईकोर्ट का कोई अंतिम आदेश नहीं आया है। याचिकाकर्ता के वकील बी.पी. सिंह का कहना है की शासन फीस नियामक आयोग बना दे तो याचिका का उद्देश्य पूरा हो सकता है।