Naxalite commander Jansi surrenders before Gariaband police
गरियाबंद, 15 सितंबर 2025। छत्तीसगढ़ पुलिस को नक्सल मोर्चे पर बड़ी सफलता मिली है। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की निवासी जानसी उर्फ वछेला मटामी ने माओवादी संगठन छोड़कर गरियाबंद पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। वह 8 लाख रुपए की इनामी नक्सली थी।
पुलिस के मुताबिक, जानसी ने माओवादियों की खोखली विचारधारा, निर्दोष ग्रामीणों पर अत्याचार और छोटे कैडरों के शोषण से परेशान होकर हथियार डालने का फैसला लिया।
लंबा रहा संगठन से जुड़ाव
जानसी का माओवादी संगठन से लंबा जुड़ाव रहा।
2005 में जनमिलिशिया सदस्य के रूप में शुरुआत की।
2006 में माओवादी कमांडर रनिता ने संगठन में भर्ती किया।
2007 में गार्ड की भूमिका निभाई।
2008 से 2011 तक प्रेस संबंधी कार्य संभाले।
2014 से 2022 तक नगरी एरिया कमेटी में कमांडर रहीं।
2022 से अब तक नगरी एरिया कमेटी की सचिव के रूप में काम कर रही थीं।
जानसी ने खुलासा किया कि माओवादी संगठन अब ग्रामीणों की हत्या, विकास कार्यों में बाधा डालने, ठेकेदारों से वसूली और युवाओं को जबरन भर्ती करने का अड्डा बन चुका है।
निजी जीवन और टूटन
जानसी की शादी 2011 में डीव्हीसीएम सत्यम गावड़े से हुई थी, लेकिन मुठभेड़ में पति के मारे जाने के बाद वह मानसिक रूप से टूट गईं। कठिन जंगल जीवन और आत्मसमर्पण करने वाले साथियों की बेहतर जिंदगी देखकर उन्होंने भी आत्मसमर्पण का रास्ता चुना।
आत्मसमर्पण की राह
जानसी ने बताया कि उन्हें अखबारों और गरियाबंद पुलिस के पोस्टर-पैंफलेट्स से आत्मसमर्पण नीति की जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि कई माओवादी साथी जैसे आयतु, संजय, मल्लेश भी इस नीति का लाभ उठाकर नया जीवन जी रहे हैं। अब वह भी सुकमा पुलिस की मदद से अपने परिवार के साथ सम्मानजनक जीवन की शुरुआत करना चाहती हैं।