श्री शिवम की दिक्कतें बड़ी, श्री शिवम ने 2017-18 के निर्माण को 1980 का बताया…कूटरचना कर अवैध निर्माण का किया नियमितिकरण
1 min readश्री शिवम की दिक्कतें बड़ी, श्री शिवम ने 2017-18 के निर्माण को 1980 का बताया…कूटरचना कर अवैध निर्माण का किया नियमितिकरण
शासन के साथ धोखाधड़ी का खुलासा
अधिकारियों ने किसके दबाव में नियमितिकरण बैठक में विचार करने रखा
नियम की उड़ाई धज्जियां, 2017-18 के बाद निर्मित भवन के नियमितिकरण का मामला
संपत्तिकर 17-18 में दिया 1980 का निर्माण पंडरी स्थित श्री शिवम के संचालक द्वारा शॉप के अवैध और अतिरिक्त निर्माण को अपने राजनीतिक रसूख से नियमिकिरण कराने को लेकर स्थानिय नागरिकों ने आपत्ति जताते हुए कार्रवाई की मांग की है। 31 जुलाई 2016 के बाद निर्मित कोई भी निर्माण का नियमितिकरण नहीं किया जा सकता। आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा धोखाधड़ी कर एक निरस्त श्री शिवम अटायर्स के निर्माण को 1980 का बताकर नियमिति करण कर दिया गया, आखिर किसके दबाव में निरस्त आवेदन को नियमित कर दिया गया। अब उपलब्ध दस्तावेजों से साफ है कि 1980 का निर्माण बताकर अधिकारियों ने अवैध निर्माण का षडय़ंत्रपूर्वक नियमितिकरण कर दिया। राहुल अरोरा और स्थानिय नागरिकों ने श्री शिवम अटायर्स के निर्माण संबंधी सूचना के अधिकार से जानकारी मांगी, जो जानकारी लोगों ने प्रस्तुत की वह चौंकाने वाली है। 17 सिंतबर 2018 की बैठक में स्वामित्व से अधिक भूमि एवं पार्किंग के अभाव में श्रीशिवम अटायर्स का निर्माण निरस्त किया गया था, जिसमें आवेदक व्दारा 11 जनवरी 2019 को शपथ पत्र देकर निर्माण 1980 में बताया था, नगर निगम और संयुक्त संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के अधिकारियों ने अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर भ्रष्टाचार की सीमा ही लांघ दी।
क्या है नियमिकिरण का नियम
अवैध निर्माण के नियमितिकरण के कानून में स्पष्ट है कि 31 जुलाई 2016 के बाद निर्मित कोई भी निर्माण का नियमितिकरण न हो, आवास एवं पर्यावरण विभाग व्दारा धोखाधड़ी कर एक निरस्त प्रोजेक्ट के कर्ताधर्ता श्री शिवम अटायर्स के निर्माण को 1980 का निर्माण दिखाकर पूर्ण विचार में रख नियमितिकरण किया गया। निरस्त आवेदन को किसके दबाव में अधिकारियों ने 1980 का पूर्ण दिखाकर पूर्ण विचार में रखा गया। ऐसे धोखाधड़ी करने वाले अधिकारियों पर 420 का मामला दर्ज होना था, आरोपियों को सलाखों के पीछे होना था, लेकिन कूटरचित साजिश कर अधिकारियों ने काम को अंजाम दियाा। जिस पर तत्कालीन भाजपा सरकार ने संज्ञान ही नहीं लिया।
अवैध और अतिरिक्त निर्माण को निरस्त करने की शिकायत : पीडित नागरिकों ने श्रीशिवम अटायर्स के खिलाफ नगर निगम और संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश विभाग व्दारा अवैध और अतिरिक्त निर्माण को निरस्त करने की शिकायत की थी। जिस पर 17 सितंबर 18 की बैठक में निरस्त नियमितिकरण को 1980 का निर्माण बताया, जबकि यह निर्माण 31 जुलाई 16 के बाद का निर्माण था, जिसका किसी भी सूरत में नियमितिकरण होना ही नहीं था, जिसे नियमितिकरण कर दिया गया। श्री शिवम ने आवेदन निरस्त के बाद 11 जनवरी 2019 को शपथ पत्र दिया कि निवास का निर्माण 1980 में किया गया जबकि वह दुकान है। जिसके बाद पूर्ण चर्चा करने का निर्देश दिया गया. 21 जनवरी को आहूत बैठक में अनाधिकृत निर्माण को नियमितिकरण करने का निर्णय लिया गया। नियमिकिरण आदेश क्रमांक 2627/17 में आवेदन से साथ संस्था व्दारा खसरा न.ं 144/4 में रकबा 9797 वर्गफीट की 20 अगस्त 2015 की रजिस्ट्री में भूमि का विवरण में भी खाली जमीन दर्शाई गई है। रजिस्ट्री की तारीख में खाली जमीन व नियमितिकरण अधिनियम 31 जुलाई 2016 में चालू निर्माण कार्य गूगल अर्थ के नक्शे में स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमनसिंह ने किया शुभारंभ
वहीं संपत्ति कर के स्वनिर्धारण संबंधि की तारीख वर्ष 2017-18 से भी स्पष्ट होता है कि भवन निर्माण उस वर्ष ही हुआ है। नगर निगम का संपत्ति कर भी वर्ष 2017-18 से चालू है। 25 जून 2017 के समाचार पत्र से भी यह मालूम होता है कि इसका शुभारंभ उसी दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमनसिंह ने किया है। नियम अनुसार 31 जुलाई 2016 के बाद निर्माण कार्य न चल रहा हो, यह भी देखने का प्रावधान है। उस दौरान हुए भर्राशाही से यह स्पष्ट होता है कि निर्माण कार्य का नियमितिकरण आवेदन दे दिया गया व आवेदन के बाद निर्माण कार्य चलता रहा और इसका शुभारंभ 25 जून 2017 को हुआ है। यह प्रकरण जिला नियमितिकरण समिति की बैठक 17 सिंतबर 18 की बैठक में स्वामित्व से अधिक भूमि एवं पार्किंग के अभाव में निरस्त किया गया था, जिसमें आवेदक व्दारा 11 जनवरी 2019 को शपथ पत्र दिया जिसके अनुसार निवास का निर्माण 1980 में किया गया था, जिला नियमतिकरण समिति व्दारा पुन: चर्चा करने 21 जनवरी 19 को प्रकरण प्रस्तुत किया गया समिति व्दारा उक्त प्रकरण का अनुमोदन किया गया। मजेदार बात यह है कि शपथ पत्र में 1980 का निर्माण नहीं लिखा होने के बाद भी अधिकारियों ने इसे नियमितिकरण करने पूर्ण विचार में रखा गया। जबकि नियम में स्पष्ट है कि 31 जुलाई 2016 के बाद निर्मित किसी भी भवन का नियमितिकरण नहीं हो सकता। सवाल यह है कि क्या 31 जुलाई 2016 के पहले इसका निर्माण कार्य हो चुका था? जबकि नियमितिकरण आवेदन के समय गूगल नक्शे में निर्माण कार्य चलता हुआ दिखाया है।
गलत ढंग से नियमितिकरण हुआ है तो होगा निरस्त
श्री शिवम अटायर्स का निर्माण अवैध और अतिरिक्त भूमि पर गलत ढंग से हुआ है, तो मैं उसका नियमितिकरण निरस्त करूंगा।
संदीप बांगड़े, संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश
-पूर्व संयुक्त संचालक विनित नायर ने कहा कि मेरे कार्यकाल में नियमितिकरण नहीं हुआ और न ही आवेदन आया है।