केशकाल | वनाग्नि पर लगाम लगाने वन विभाग ने छेड़ी मुहिम ! गांव-गांव में नुक्कड़ नाचा के माध्यम से फैलाई जा रही है जागरूकता- DFO
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नीरज उपाध्याय/केशकाल:- गर्मी का मौसम शुरू होते ही केशकाल वनमंडल सकेत समूचे प्रदेश के जंगलों में आग की घटनाएं अकसर सुनने को मिलती हैं। वन विभाग द्वारा इस पर लगाम के लिए कई जरूरी कदम उठाए गए हैं। हालांकि अब भी इसके लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता की जरूरत है। जिसको लेकर केशकाल वन विभाग ने एक विशेष मुहिम छेड़ी है।
नुक्कड़ नाचा के माध्यम से प्रचार प्रसार जारी-
इसके मद्देनजर केशकाल वनमण्डलाधिकारी (DFO) गुरुनाथन एन. के निर्देशानुसार केशकाल, विश्रामपुरी, फरसगांव, धनोरा आदि क्षेत्रों में वन विभाग की टीम के द्वारा जन जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई है। इसके तहत विभागीय अमला, अग्नि सुरक्षा श्रमिक एवं संयुक्त वन प्रबंधन समिति के सदस्यों के द्वारा टीम गठित कर परिक्षेत्र स्तर पर अग्नि सुरक्षा के संबंध में शहरी/ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक साप्ताहिक बाजार में नुक्कड़ नाचा के माध्यम से आम जनों के बीच प्रचार-प्रसार कर लोगों को जागरूकता किया जा रहा है। साथ ही साथ वनमंडल स्तर पर फॉयर कन्ट्रोल सेल का भी गठन किया गया है।
जानिए क्या है जंगल मे आग लगने के प्रमुख कारण-
इस सम्बंध में केशकाल डीएफओ गुरुनाथन एन. ने बताया कि जंगलों में आग लगने के बहुत से कारण हिट हैं। जैसे महुआ इकट्ठा करने की दृष्टि से पेड़ों के नीचे ग्रामीणों द्वारा लगाई जाने वाली आग अनियंत्रित होकर फैल जाती है। साल बीज सीजन में साल बीज इकट्ठा कर उसे वन क्षेत्र में जलाये जाने, तेन्दूपत्ता संग्रहण के लिए बूटा कटाई के दौरान अच्छे पत्ते प्राप्त करने की दृष्टि से अज्ञानतावश आग जला दी जाती है। साथ ही बिड़ी- सिगरेट अथवा ज्वालनशील प्रदार्थ को मार्ग के किनारे फेंकने से भी आग लगने की संभावना रहती है।
वनाग्नि से पेड़ों के पुनरुत्पादन को क्षति पहुंचती है-
डीएफओ ने बताया कि वनाग्नि से पेड़ पौधों में पुनरूत्पादन को क्षति पहुंचती है। जहां एक ओर प्राकृतिक पुनरूत्पादन के लाखों पेड़ नष्ट हो जाते है, दुसरी ओर वृक्षों की काष्ठ की गुणवता भी प्रभावित होती है। अग्नि से छोटे-छोटे औषधि पौधें जल कर नष्ट हो जाते है एवं अग्नि से वन्य जीव भी प्राभावित होती है। इसलिए हम ग्रामीणों को जागरूक कर रहे हैं ताकि समय रहते पर्यावरण को सुरक्षित किया जाए।