नीरज उपाध्याय/केशकाल:- विगत दिनों राज्य शासन ने नगरीय निकायों में होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर नगरीय निकायों के वार्डों का परिसीमन करने के निर्देश दिए थे। जिसके परिपालन में केशकाल नगर पंचायत में भी वार्डों का परिसीमन किया जा रहा है। जिससे नगर पंचायत के पार्षद सगीर खान, यासीन मेमन, पंकज नाग व अनिल उसेंडी ने आपत्ति जाहिर की है। दरअसल पार्षदों का कहना है कि उक्त परिसीमन की प्रक्रिया में राज्य शासन द्वारा जारी निर्देश एवं नगर पालिका अधिनियम की सम्बंधित नियमावली का खुलेआम उलंघन किया जा रहा है। पार्षदों ने शनिवार को एसडीएम अंकित चौहान के समक्ष दावा आपत्ति दर्ज करते हुए 2019 के परिसीमन को यथावत रखने की मांग की है।
राज्य सरकार के आदेशानुसार हो रहा है परिसीमन-
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा 15 जून को प्रदेश के सभी कलेक्टर को आदेश जारी किया गया था। जिसमें यह उल्लेखित था कि राज्य के नगरीय निकायों का आम निर्वाचन माह नवम्बर / दिसम्वर 2024 में होना है। ऐसे में छतीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 10 की उपधारा (3) तथा छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 29 की उपधारा (3) अनुसार वार्डों की रचना इस प्रकार से की जाएगी कि प्रत्येक वाई की जनसंख्या पूरे निकाय सेत्र में यथासाध्य एक जैसी होगी तथा वार्ड में सम्मिलित क्षेत्र संहृत क्षेत्र हो। जनगणना निदेशालय द्वारा जनगणना 2011 के जनसंख्या संबंधी आंकडो का प्रकाशन किया जा चुका है। प्रत्येक वार्डों की जनसंख्या में हुईं वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए नये सिरे से वार्डों का परिसीमन किया जाना आवश्यक हो गया है। छतीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग से प्राप्त निर्देशानुसार नगरीय निकायों के वार्डों के परिसीमन की कार्यवाही यथाशीघ्र सम्पन्न कराया जाना है। ताकि समय-सीमा में मतदाता सूची आदि तैयार कराया जाकर आम चुनाव 2024 नियत समयावधि में सम्पन्न कराया जा सके।
परिसीमन में नियमों का खुलेआम उलंघन करने का आरोप-
इस सम्बंध में केशकाल नगर पंचायत के पार्षद सगीर खान ने कहा कि नगर पंचायत केशकाल में हो रहे वार्डों के परिसीमन में नगर पालिका अधिनियम की धारा 29 की उपधारा (3) का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। इस परिसीमन में वार्डों को संहृत न करते हुए उनका बिखराव किया जा रहा है। हम मांग करते हैं कि 2019 में जो परिसीमन हुआ था वह यथावत रहे। हमने एसडीएम के समक्ष दावा आपत्ति प्रस्तुत किया है। यदि यथाशीघ्र इसका निराकरण नहीं किया जाता तो हम माननीय उच्च न्यायालय की शरण मे जाएंगे।