छत्तीसगढ़ से राज्यसभा जाने वाले के.टी. एस. तुलसी कौन है?जानिए उनके बारे में
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सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी को राज्यसभा के लिए कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। तुलसी इससे पहले भी राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। 1980 में, तुलसी ने क्रिमीनल लॉ का अभ्यास शुरू किया। 1987 में, उन्हें एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया। तीन साल बाद 1990 में, उन्हें भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नामित किया गया। 1994 से वह आपराधिक न्याय सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं। तुलसी ने सर्वोच्च न्यायालय में दस बार से अधिक बार भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया है।
पार्ट टाइम में लेक्चरर के रूप में काम किया
आउटलुक हिंदी में प्रकाशित खबर के मुताबिक, साल 1973 और 1976 के बीच केटीएस तुलसी ने पार्ट टाइम में लेक्चरर के रूप में काम किया। इस बीच तुलसी ने दो किताबें भी लिखी- Tulsi’s Digest of Accident Claims Cases and Landlord & Tenant Cases.
1947 से लेकर 1950 तक होशियारपुर में डिस्ट्रिक अटार्नी के पद पर तैनात रहे केटीएस तुलसी के पिता
पंजाब के कपूरथला जिले के गांव होशियारपुर में जन्म लेने वाले प्रख्यात वकील और देश के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया पद पर रहे 67 वर्षीय एडवोकेट केटीएस तुलसी राज्यसभा सांसद भी हैं। 1947 में होशियारपुर में जन्में केटीएस तुलसी के पिता गुरबचन सिंह तुलसी देश के विभाजन के समय साल 1947 से लेकर 1950 तक होशियारपुर में डिस्ट्रिक अटार्नी के पद पर तैनात रहे।
प्रिंसिपल पद पर रहते हुए रिटायर हुई थीं केटीएस तुलसी की मां
साल 1950 में गुरबचन सिंह तुलसी का तबादला लुधियाना होने पर केटीएस तुलसी का स्कूली पढ़ाई लुधियाना में हुई। केटीएस तुलसी की मां बलजीत कौर तुलसी गवर्नमेंट कॉलेज चंडीगढ़ में बतौर प्रिंसिपल पद पर रहते हुए रिटायर हुई थी।
देश के वरिष्ठ अधिवक्ता के.टी.एस. तुलसी हर पेशी के लिए 5 लाख की फीस लेते हैं।
इनकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता बिना किसी फीस के ही करते हैं। देश के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हैं के.टी.एस. तुलसी।
वरिष्ठ अधिवक्ता पुरानी कारें रखने के काफी शौकीन हैं।
राज्यसभा सांसद और वरीष्ठ वकील केटीएस तुलसी साइकिल से संसद पहुंचने को लेकर भी सुर्खियों में रहे थे।
जब एक ओर दिल्ली में प्रदूषण को लेकर बड़ी बहस चल रही थी पर कोई भी अपनी सुविधाओं को लेकर समझौते के मूड में नहीं था, तभी राज्यसभा के सांसद और वरीष्ठ वकील केटीएस तुलसी साइकिल से संसद पहुंचे जो समाज के लिए एक मिसाल तथा चर्चा का विषय बना।
हैरानी की बात यह है कि जहां तुलसी एक पेशी पर हरियाणा सरकार की ओर से पैरवी करने के 11 लाख रुपये चार्ज कर रहे थे वहीं जब उन्होंने करोड़ों रुपये के कोयला घोटाले में सरकार की ओर से पैरवी की तो प्रत्येक सुनवाई के केवल 33 हजार रुपये लिए थे।