November 19, 2024

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जयदीप दासगुप्ता ने एनएमडीसी लिमिटेड के निदेशक (उत्पादन) के रूप में किया कार्यग्रहण

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Jaideep Dasgupta takes charge as Director (Production) of NMDC Limited

हैदराबाद। जॉयदीप दासगुप्ता ने भारत सरकार इस्पात मंत्रालय के अधीन अनुसूची “ए” के नवरत्न स्तर के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एनएमडीसी लिमिटेड के निदेशक (उत्पादन) के रूप में 15.11.2024 को पदभार ग्रहण किया।
तीन दशकों से अधिक के अपने विशिष्ट कैरियर में जॉयदीप दासगुप्ता ने इस्पात और खनन उद्योग में अनुकरणीय नेतृत्व और रणनीतिक विजन का प्रदर्शन किया है। हाल ही में, उन्होंने बोकारो इस्पात संयंत्र के अधीन सेल के झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस में कार्यपालक निदेशक (खान) के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने प्रणाली सुदृढीकरण, आईएसओ ऑडिट और क्षमता विस्तार परियोजनाओं के सफल निष्पादन में महत्वपूर्ण पहलों का नेतृत्व किया।

इंटरनेशनल कोल वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईसीवीएल) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के रूप में जॉयदीप दासगुप्ता का कार्यकाल उनके करियर में एक मील का पत्थर था। उन्होंने मोजाम्बिक में आईसीवीएल के खनन कार्यों का नेतृत्व किया और भारतीय प्रमोटर कंपनियों सेल तथा आरआईएनएल को कोकिंग कोल और थर्मल कोयले का निर्यात सुनिश्चित किया। उनके नेतृत्व से भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय संसाधनों और रणनीतिक कोयला आपूर्ति श्रृंखलाओं का अनुकूलन सुनिश्चित हुआ।

दासगुप्ता बीआईटी सिंदरी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक है। उन्होंने 1991 में सेल में प्रबंधन प्रशिक्षु (तकनीकी) के रूप में अपने कैरियर की यात्रा प्रारम्भ की। विगत वर्षों में उन्होंने बोकारो स्टील प्लांट के अधीन झारखंड ग्रुप ऑफ माइन्स के यूनिट प्रमुख सहित अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

जॉयदीप दासगुप्ता ने ऑस्ट्रिया में एसवीएआई लिंज़, लियोबेन, डोनाविट्ज़ और आइजनर्ज़ में विशेष तकनीकी प्रशिक्षण के साथ-साथ ईएससीपी, पेरिस में उन्नत वैश्विक तकनीकी प्रबंधन कार्यक्रम के माध्यम से अपनी विशेषज्ञता का परिमार्जन किया है। उन्होंने रूस और सुदूर पूर्व साइबेरिया में भारतीय इस्पात संयंत्रों के लिए वैकल्पिक कोकिंग कोयला और पीसीएल आपूर्ति का अंवेषण कर रहे प्रतिनिधिमंडलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

एनएमडीसी को विश्वास है कि जॉयदीप दासगुप्ता की व्यापक विशेषज्ञता और दूरदर्शी नेतृत्व कंपनी को अपने उत्तरदायित्वपूर्ण तथा सुस्थिर खनन के सिद्धांत को कायम रखते हुए वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन लौह अयस्क उत्पादन क्षमता वाली कंपनी बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा।

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