September 21, 2024

The News Wave

सच से सरोकार

लॉकडाउन में श्रमिकों को पूरी सैलरी देने के आदेश को गृह मंत्रालय ने वापस लिया

1 min read

SIGNUM:?µæQ??píBo¾Ð

Spread the love

गृह मंत्रालय ने 29 मार्च को आदेश जारी कर कहा था कि सभी नियोक्ताओं को लॉकडाउन के दौरान अपने श्रमिकों की सैलरी में कोई कटौती किए बिना पूरी सैलरी देनी होगी.

Delhi/thenewswave.com  केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने उस आदेश को वापस ले लिया है जिसमें कहा गया था कि लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को पूरी सैलरी देनी होगी.

बीते 17 मई को लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा के साथ गृह मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी कर कहा है कि श्रमिकों को पूरी सैलरी देने के लिए 29 मार्च को जारी उनका आदेश अब प्रभावी नहीं रहेगा.

मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा, ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 10(2)(एल) के तहत एनईसी (राष्ट्रीय कार्यकारी समिति) द्वारा जारी किए गए सभी आदेश 18.05.2020 से अप्रभावी होंगे.’

राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एनईसी) के अध्यक्ष के रूप में केंद्रीय गृह सचिव ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 10(2)(एल) के तहत 29 मार्च को वो आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि सभी कंपनियों, उद्योगों इत्यादि को अपने श्रमिकों को पूरी सैलरी देनी होगी.

इस आदेश में कहा गया था, ‘चाहे इंडस्ट्री हो या शॉप हो या कॉमर्शियल प्रतिष्ठान हो, सभी को अपने श्रमिकों को समय पर पूरी सैलरी देनी होगी, बिना किसी कटौती के, उस समय तक जब तक कि लॉकडाउन के दौरान उनकी कंपनी बंद है.’

इसके अलावा इसमें ये भी कहा गया, ‘यदि कोई मकान मालिक मजदूरों और छात्रों को घर खाली करने के लिए कहता है तो उसके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी.’

लॉकडाउन के लिए जारी नए दिशानिर्देशों में कुल छह तरह के दिशानिर्देश संलग्न हैं, जो कि फंसे हुए लोगों की आवाजाही से जुड़े हुए हैं. इसमें 29 मार्च के उस आदेश से जुड़ा कोई दिशानिर्देश नहीं है. इसका मतलब है कि 18 मई से श्रमिकों को पूरी सैलरी देने वाला आदेश लागू नहीं होगा.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें गृह मंत्रालय के 29 मार्च के आदेश की संवैधानिकता और कानूनी मान्यता को चुनौती दी गई है.

पिछले हफ्ते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दो याचिकाओं पर एक अंतरिम आदेश पारित किया था जिसमें कहा गया था कि 29 मार्च के आदेश की अवहेलना करने वाले लघु उद्योगों के खिलाफ एक हफ्ते तक कार्रवाई न की जाए.

गृह मंत्रालय के आदेश को अनुचित और मनमाना तथा नियोक्ताओं के व्यापार और बिजनेस के मौलिक अधिकार के उल्लंघन के रूप में चुनौती दी गई है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *