Good News | सरकार ने डी-फार्म डिग्रीधारी फार्मेसिस्टों को अस्पतालों में प्रैक्टिस की दी मंजूरी, डॉक्टरी करते नजर आएंगे फार्मेसिस्ट
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डेस्क। जल्द ही बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों में फार्मेसिस्ट डॉक्टरी करते नजर आएंगे। ये ‘क्लिनिकल फार्मासिस्ट’ कहलाएंगे, जो आपके स्वस्थ्य की नागरानी, दवाइयों का चयन, दवाओं के दुष्प्रभावों की जांच करेंगे। सरकार ने डी-फार्म डिग्रीधारी फार्मेसिस्टों को अस्पतालों में प्रैक्टिस की मंजूरी दे दी है।
क्लिनिकल फार्मेसिस्ट एक विशेष स्वास्थ्य अधिकारी होंगे, जो आपको दवाओं के ब्रांड नाम के बजाए सॉल्ट के आधार पर सिर्फ दवाओं के नाम बताएँगे। 11 साल से अधिक समय से चल रहे छह वर्षीय डॉक्टर ऑफ फार्मेसी (फार्म डी) कोर्स के बावजूद भारत में क्लिनिकल फार्मेसिस्ट का पद राजपत्र में नहीं था| सरकार ने 5 जुलाई को गजट नोटिफिकेशन जारी कर इस पोस्ट को ऑफिशियल कर दिया है। केन्द्र ने 5 जुलाई को फार्मेसी अभ्यास विनियमों 2015, में इसे अधिसूचना के रूप में शामिल कर दिया है।
फार्म डी पाठ्यक्रम 2010 में अमेरिका की तर्ज पर शुरू किया गया था, जहाँ डिग्री धारकों को अस्पतालों, क्लिनिक, नर्सिंग होम, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, फार्मेसियों, दवा की दुकानों आदि में नियुक्त किया जाता है। अन्य फार्मा ग्रेजुएट्स की तरह फार्म डी धारक अस्पतालों में कम से कम एक वर्ष के क्लिनिकल रोटेशन से गुजरते हैं और नैदानिक कौशल विकसित करते हैं।
ये ग्रेजुएट्स मानव शरीर रचना विज्ञान, जीव विज्ञान, औषधीय रसायन विज्ञान, आणविक औषधि विज्ञान, विष विज्ञान, मनोविज्ञान, स्वास्थ्य मूल्यांकन, रोगी देखभाल और निदान प्रक्रिया का अध्ययन करते हैं।