देवउठनी एकादशी पर्व धूमधाम से मनाई गई, पढ़े क्या है पौराणिक मान्यता
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जर्नलिस्ट रामकुमार भारद्वाज –
कोण्डागांव । देवउठनी एकादशी पूरे देश में मनाई गई । देवउठनी एकादशी के बाद पूरे देश में मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाती है । देवउठनी एकादशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं । देवउठनी एकादशी को देखते हुए शिल्प नगरी में जहां तहां गन्ने का ढेर देखने को मिल रहा है ।
एकादशी में नही बिका गन्ना, किसान मायूस
कोण्डागांव नगर में गन्ना बेच रहे किसानों ने बताया कि हर साल के अपेक्षा इस वर्ष कोरोना संक्रमण व्यवसाय मंदी के कारणों से गन्ना किसान अपना फसल को लेकर कम पहुंचे हैं । इन्हीं कारणों से इस वर्ष गन्ना कम आने के वजह से गन्ना अधिक मूल्य पर बिकने का अनुमान लगाया जा रहा था । फिर भी गन्ना की खेती करने वाले किसान मायूस इस बात को लेकर है, कि वर्तमान दौर में ज्यादातर लोगों का धंधा व्यवसाय चौपट है । गन्ना का सही मूल्य मिलने की संभावना नहीं दिख रही है । किसानों का कहना है कि पिछले बार अच्छे दामों में गन्ना बिका था, इस बार आधे दाम में बेचने पर भी ग्राहक कम पहुच रहे हैं । कोरोना संक्रमण के कारण व्यापार में नुकसान झेलना पड़ा है, गन्ना व्यापारियों के चहरे पर हर साल की तरह इस साल कोरोना के कारण खुशी नहीं दिखी ।
एकादशी की है पौराणिक मान्यता – हेमा देवांगन
कोण्डागांव नगर की स्थानीय निवासी हेमा देवांगन ने बताया एकादशी की पौराणिक मान्यता है कि एकादशी के ही दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी के पूजा प्रार्थना के साथ ही भगवान शालिग्राम एवं माता तुलसी का विवाह रचाने की सालों पुरानी परंपरा देश में रही है । इसमें कई अन्य मिष्ठानो के साथ ही गन्ना पूजा करने की सालों पुराना परंपरा का निर्वहन किया जाता है । इस देवउठनी एकादशी के पावन त्यौहार के साथ ही हिंदू परंपरा अनुसार शादी विवाह जैसे परिवारिक तथा सामाजिक आयोजनों का शुरुआत हो जाता है ।