November 23, 2024

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Citizenship Amendment Act 2019: नागरिकता कानून पर रोक लगाने से SC का इनकार, केंद्र को भेजा नोटिस

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18 दिसंबर 2019 नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून पर केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कानून पर रोक नहीं लगाई है, हालांकि कोर्ट कानून की वैधानिकता पर विचार जरूर करेगा कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।22 जनवरी को इसपर अगली सुनवाई होगी।

#नागरिकता_संशोधन_कानून पर केंद्र सरकार को बड़ी राहत सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कानून पर नहीं लगाई रोक। हालांकि कोर्ट कानून की वैधानिकता पर करेगा विचार। कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब। 22 जनवरी को होगी अगली सुनवाई।@JagranNews

— Mala Dixit (@mdixitjagran) December 18, 2019

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि कानून पर लोगों में भ्रम है लोगों को जानकारी नहीं है इसलिए प्रदर्शन हो रहे हैं।इसपर कोर्ट ने अटार्नी जनरल से कहा कि कानून का प्रचार होना चाहिए।अटार्नी जनरल ने कहा है सरकार इसका प्रचार करेगी।

केंद्र सरकार को नोटिस जारी

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। समाचार एजेंसी एएनआइ ने इसकी जानकारी दी है।नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली 59 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के लिए लगी थी।याचिका दाखिल करने वालों में सांसद जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा और असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं।वहीं CJI बोबडे ने अटॉर्नी जनरल (AG) केके वेणुगोपाल को बुलाया और कहा कि वकील अश्विनी उपाध्याय ने असामान्य अनुरोध किया कि उन्होंने जामिया का दौरा किया और कहा कि लोगों को अधिनियम के बारे में पता नहीं है, क्या आप नागरिक संशोधन अधिनियम को सार्वजनिक कर सकते हैं ? अटॉर्नी जनरल का कहना है कि सरकारी अधिकारी इस अधिनियम प्रकाशित कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकारनागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों, हिंसा और फिर पुलिस कार्रवाई के मामले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि हम इन याचिकाओं को क्यों सुनें।आप लोग हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते?’ इतना ही नहीं कोर्ट ने छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने का भी कोई आदेश नहीं दिया और न ही मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटनाएं अलग अलग जगहों की हैं ऐसे में एक जांच कमेटी गठित करना ठीक नहीं रहेगा। याचिकाकर्ता संबंधित हाई कोर्ट जाएं और हाई कोर्ट पक्षकारों और सरकार को सुनकर जांच कमेटी गठित करने के बारे में उचित आदेश दे सकते हैं।ये आदेश प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पुलिस कार्रवाई का मामला उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिए।

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