Chhattisgarh | पत्नी के जींस टॉप पहनने से पड़ेगा बच्चें पर बुरा प्रभाव, कस्टडी लेने पति ने कही कोर्ट में यह बात, हाईकोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला
1 min readWearing jeans top of wife will have a bad effect on children, husband said this in court to take custody, High Court gave such a decision
बिलासपुर। पति-पत्नी के बीच तलाक के बाद बच्चे को अपने पास रखने को लेकर चल रहे न्यायिक प्रक्रिया में बच्चें की कस्टडी को लेकर एक पति ने अपनी पत्नी पर उसके जींस टॉप पहनने से बच्चें पर इसका बुरा प्रभाव पड़ने का हवाला देकर बच्चें की कस्टडी अपने पास ले ली गयी थी। महासमुंद फैमिली कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट ने रदद करते हुए बच्चे की कस्टडी जहां फिर से मां को देने का आदेश जारी किया है, वही न्यायालय ने तर्क दिया है कि महिला के पुरूष सहकर्मियों के साथ घुमना फिरना और जींस टॉप पहनने से किसी महिला के चरित्र का आकलन नही किया जा सकता है।
अधिवक्ता सुनील साहू ने बताया कि महासमुंद निवासी एक दंपती का विवाह वर्ष 2007 में हुआ था। उसी साल दिसंबर महीने में उनका एक पुत्र पैदा हुआ। विवाह के पांच साल बाद वर्ष 2013 में दोनों ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया था । दोनों ने मिलकर फैसला लिया कि पुत्र अपनी मां के पास रहेगा। इसके बाद बच्चे की मां महासमुंद में ही एक निजी संस्थान में ऑफिस असिस्टेंट की नौकरी करने लगी। 2014 में बच्चे के पिता ने महासमुंद की फैमिली कोर्ट में आवेदन देकर बेटे को उसे सौपने की मांग की। पिता ने आवेदन में तर्क दिया कि उसकी पत्नी अपने संस्थान के पुरुष सहयोगियों के साथ बाहर आना जाना करती है। वह जींस,टी शर्ट पहनती है और उसका चरित्र भी अच्छा नहीं है। इसलिए उसके साथ रहने से बच्चे पर गलत असर पड़ेगा।
गवाहों के बयान के आधार पर फैमिली कोर्ट ने 2016 में बच्चे की कस्टडी मां के स्थान पर पिता को सौंप दी थी। बच्चे की मां ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने बुधवार को फैमिली कोर्ट का फैसला रद्द कर बच्चे की कस्टडी मां को सौंप दी। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की युगल पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की सोच से महिलाओं के अधिकार और स्वतंत्रता के लिए चल रही लड़ाई और कठिन हो जाएगी। ऐसी मानसिकता वाले समाज के कुछ लोगों के प्रमाण-पत्र से किसी महिला का चरित्र निर्धारित नहीं किया जा सकता। लिहाजा इस महिला की याचिका पर निर्णय लेते हुए बच्चें की कस्टडी मां को साैंंपते हुए हाई कोर्ट ने बच्चे के पिता को उससे मिलने और संपर्क करने की सुविधा भी दी है।