Chhattisgarh | रीपा अंतर्गत आजीविका गुड़ी से पुनर्जीवित हो रहे हैं परम्परागत व्यवसाय
1 min readChhattisgarh | Traditional businesses are being revived from Aajeevika Gudi under RIPA
कुम्हार शिल्प कला का उत्तम उदाहरण देखने को मिल रहा कुशहा गौठान में
शासन की मदद से आजीविका के साथ-साथ परम्परा और संस्कृति सहेजने का मिल रहा है सुअवसर-कुंजलाल
रायपुर। शासन द्वारा ग्रामीणों और युवाओं को नये उद्यमों की स्थापना और रोजगार सृजन के लिए महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क रीपा की स्थापना की गई है। इन केंद्रों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों को स्वरोजगार मिला है, वहीं रीपा केंद्रों में शासन द्वारा आजीविका गुड़ी स्थापित किए जाने से सभी वर्गों को अपने परंपरागत व्यवसायों को नई पहचान दिलाने का अवसर मिला है। आजीविका गुड़ी के अंतर्गत रीपा केंद्रों में गतिविधि से सम्बंधित जाति वर्ग के परिवारों को उनके परम्परागत व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है, जिसके अंतर्गत लौह गुड़ी, मोची गुड़ी, तेल गुड़ी, बांस शिल्प गुड़ी, धोबी गुड़ी, मिट्टी गुड़ी, बढ़ाई गुड़ी, बेल मेटल गुड़ी स्थापित किए जा रहे हैं।
कोरिया जिले के विकासखण्ड सोनहत के कुशहा गौठान में मिट्टी गुड़ी की स्थापना की गई है जहां कुम्हार शिल्प कला का उत्तम उदाहरण देखने को मिल रहा है। कुम्हार वर्ग के टेराकोटा निर्माण समिति नाम से समिति स्थापित कर ग्राम के दस लोगों ने अपने परम्परागत व्यवसाय को सहेजने की ठानी और शासन की मदद से कार्य में जुट गए। समिति के सदस्य देवीदयाल बताते हैं कि उन्होंने 2019 से छोटे रूप में मिट्टी के बर्तन बनाने का काम शुरू किया था, फिर जैसे ही उन्हें रीपा अंतर्गत आजीविका गुड़ी के बारे में पता चला उन्होंने साथियों के साथ मिलकर समिति बनायी और गौठान में ही कार्य करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि यहां मिट्टी के बर्तन, गुल्लक, घड़ा, दिए, कलश, डोकसी के साथ ही साथ सजावट के समान भी बनाते हैं। जिसकी अच्छी डिमांड मार्केट में है, त्यौहारी सीजन में तो विशेष रूप से मांग बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि विक्रय हेतु उत्पाद लोकल मार्केट के साथ ही साथ सी मार्ट में भी भेजे जाते हैं, विगत 2 वर्षों में कुल एक लाख से भी अधिक का विक्रय किया गया है। वे बताते हैं कि अभी शादियों के सीजन में भी उनके पास बड़ी संख्या में ऑर्डर आते हैं।
शासन की मदद से आजीविका के साथ-साथ परम्परा और संस्कृति सहेजने का हमे मिल रहा है सुअवसर-कुंजलाल
समिति के सदस्य कुंजलाल बताते हैं कि वे अपने परम्परागत व्यवसाय से जुड़कर बहुत खुश हैं। उनका कहना है कि जब से उन्होंने टेराकोटा का काम शुरू किया है तब से उन्हें यही काम अच्छा लगता है और किसी दूसरे काम में मन ही नही लगता। शासन की मदद से आजीविका के साथ-साथ अपनी परम्परा तथा संस्कृति को हमे सहेजने का अवसर मिला है जिससे हम बहुत खुश हैं। उन्होंने कार्य से मिली राशि से मोटरसाइकिल भी खरीद लिया है, वे बताते हैं कि अन्य लोगों को भी वे काम सिखाने का कार्य कर रहें हैं और स्वयं भी मन लगाकर काम करते हैं।