September 22, 2024

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Chhattisgarh | तीन दिवसीय माता कौशल्या महोत्सव समापन, मुख्यमंत्री ने माता कौशल्या धाम में पर्यटकों की सुविधा के लिए टूरिज्म कैफे का किया लोकार्पण

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Chhattisgarh | Three-day Mata Kaushalya Festival concludes, Chief Minister inaugurates tourism cafe for the convenience of tourists at Mata Kaushalya Dham

महिला सशक्तिकरण की थीम पर आधारित था माता कौशल्या महोत्सव

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज भगवान श्रीराम के ननिहाल और माता कौशल्या की नगरी चंदखुरी में आयोजित तीन दिवसीय माता कौशल्या महोत्सव के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए। माता कौशल्या महोत्सव को इस वर्ष महिला सशक्तिकरण की थीम पर मनाया गया। आस्था और भक्ति से ओतप्रोत इस महोत्सव में छत्तीसगढ़ सहित देश के ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन भी किया गया।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी के वैभव को विश्व पटल पर स्थापित करने, प्रदेश की कला, संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने, महिला सशक्तिकरण, कलाकारों के संरक्षण, संवर्धन एवं कला दलों के सतत् विकास हेतु इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर माता कौशल्या महोत्सव मनाने की घोषणा की थी।

पर्यटन कैफे का हुआ उद्घाटन

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने माता कौशल्या महोत्सव के समापन अवसर पर मंदिर परिसर में स्थित पर्यटन विभाग द्वारा तैयार टूरिज्म कैफे का भी उद्घाटन किया। पयर्टन कैफे शुरू होने से अब यहां आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को छत्तीसगढ़ी व्यंजन सहित मिलेट्स से तैयार किए गए खाद्य उत्पाद उपलब्ध होंगे। इस कैफे के शुरू होने से श्रद्धालुओं को छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा और पर्यटक भी छत्तीसगढ़ी व्यंजनों से रूबरू हो सकेंगे.

महिला स्व-सहायता समूह की स्टॉलों में दिखी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार लगातार काम कर कर रही है। मेला, उत्सवों एवं अन्य प्रदर्शनी आदि कार्यक्रमों के अवसर पर महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के विक्रय एवं प्रचार-प्रसार हेतु उनको बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। माता कौशल्या महोत्सव के मौके पर भी महिला स्व-सहायता द्वारा उत्पादित वस्तुओं को विक्रय के लिए विशेष तौर पर नौ स्टॉल तैयार किए गए थे। महिलाओं द्वारा संचालित इन स्टालों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक देखने को मिली।

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