Chhattisgarh | बालवाड़ी के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तय, कलेक्टरों को कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश
1 min readStandard operating procedure fixed for kindergarten, instructions to collectors to ensure action
रायपुर। राज्य शासन के निर्णय अनुसार प्रदेश में 5 से 6 आयु वर्ग के बच्चों के लिए आगामी सत्र से 6 हजार 536 शासकीय प्राथमिक शालाओं में बालवाड़ी का संचालन किया जाना है। बालवाड़ी के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मानक संचालन प्रक्रिया जारी कर दी है। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने सभी जिला कलेक्टरों को बालवाड़ी मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
कलेक्टरों को जारी मानक संचालन प्रक्रिया में कहा गया है कि प्रारंभिक बाल्यावस्था में तेजी से शारीरिक और मानसिक विकास होता है। यह बच्चों के सीखने के लिए सबसे उत्तम समय होता है। 6 वर्ष की आयु तक बच्चों को सीखना अत्यंत सरल और सुगम होता है। इस आयु में जो सिखाया जाता है, उसी आधारभूत दुनिया को बालक आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए सक्षम होता है। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन द्वारा प्रथम चरण में राज्य की 6 हजार 536 प्राथमिक शालाओं के साथ बालवाड़ी संचालन का निर्णय लिया गया है। इस बालवाड़ी में 5-6 आयु समूह के बच्चों को सीखने-सिखाने का अवसर आनंदमयी वातावरण में प्रदान किया जाना है।
प्रथम चरण में चिन्हांकित की गई 6 हजार 536 प्राथमिक शालाएं जिनके परिसर में आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं अथवा समीप में स्थित हैं, उन्हीं शालाओं में समन्वय स्थापित करते हुए बालवाड़ी का संचालन किया जाना है। जिला मिशन समन्वयक समग्र शिक्षा से इन चिन्हांकित शालाओं की सूची प्राप्त कर आगामी सत्र से बालवाड़ी संचालन के लिए आवश्यक तैयारी करें।
कलेक्टरों को निर्देशित किया गया है कि बालवाड़ी संचालन के लिए शिक्षक एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का चिन्हांकन कर लिया जाए। बालवाड़ी केन्द्रों में शिक्षण-प्रशिक्षण कार्य आंगनबाड़ी एवं शिक्षक द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना है। इसके लिए कार्यकर्ता और शिक्षक, यथासंभव महिला की पहचान कर ली जाए। शाला परिसर में बच्चों को बैठने के लिए एक कमरा चिन्हांकित किया जाए। छोटे बच्चों के हिसाब से आवश्यक साज-सज्जा की जाए। बच्चों के बैठने के लिए दरी आदि की व्यवस्था कर ली जाए। छोटे बच्चों के आयु अनुरूप चिन्हांकित कक्ष के पास पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था भी कर ली जाए। महिला एवं बाल विकास विभाग से समन्वय करते हुए जिस ग्राम, वार्ड में बालवाड़ी संचालित किया जाना है, वहां के बालक-बालिकाओं का संचालन कर लिया जाए।
कलेक्टरों से कहा गया है कि बालवाड़ी में प्रवेशित किए जाने वाले बच्चों के पालकों-माताओं के एक समिति बनाया जाए, जो बालवाड़ी के संचालन में आवश्यक सहयोग प्रदान करे। समय-समय पर बालवाड़ी में उपस्थित होकर बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों में अपनी सहभागिता भी प्रदान कर सके। इसके लिए ग्राम, वार्ड में प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक द्वारा सरपंच, वार्ड पार्षद, पंच के साथ मिलकर बालवाड़ी के संचालन के पूर्व बैठक ली जाए। इस महती योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि उपयुक्त आयु समूह के अधिक से अधिक बच्चे बालवाड़ी में दर्ज हो सके।
बालवाड़ी के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रम का निर्धारण राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के माध्यम से किया जा रहा है। चयनित शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विधिवत प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण एससीईआरटी के माध्यम से दिया जाना प्रस्तावित है।
बच्चों के लिए आकर्षक बालवाड़ी केन्द्र तैयार करने के लिए इन्डोर-आउटडोर खेल सामग्री, विभिन्न प्रकार की शैक्षणिक सामग्री, पोस्टर-चार्ट, कलर ड्राइंगशीट आदि की व्यवस्था भी सामुदायिक सहयोग से करने का प्रयास किया जाए।