Chhattisgarh | सात मिनट की देरी ने बढ़ाई मौतें, सिस्टम पर उठे सवाल

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Chhattisgarh | Seven minutes’ delay increased deaths, raising questions about the system

बिलासपुर, 11 दिसंबर। गतौरा–बिलासपुर रेल सेक्शन में 4 नवंबर को हुए भीषण ट्रेन हादसे पर मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की प्रारंभिक रिपोर्ट ने रेलवे सिस्टम की गंभीर खामियों और लापरवाहियों को सामने ला दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटना के एक मिनट के भीतर कंट्रोलर को सूचना देना अनिवार्य था, ताकि हूटर बजाकर तुरंत राहत दल भेजा जा सके, लेकिन इस मामले में पूरे सात मिनट की देरी हुई। नतीजतन रेस्क्यू ऑपरेशन देर से शुरू हुआ और स्थिति और भयावह हो गई।

कैसे हुआ हादसा?

4 नवंबर की शाम करीब 4 बजे बिलासपुर–गेवरारोड अप लाइन पर मेमू ट्रेन खड़ी मालगाड़ी से जा टकराई। हादसे में लोको पायलट विद्यासागर समेत 13 लोगों की मौत और 20 से अधिक यात्री घायल हुए।

सीआरएस रिपोर्ट के चौंकाने वाले निष्कर्ष

सीआरएस ब्रजेश कुमार मिश्रा की 30 पेज की रिपोर्ट में कई गंभीर चूकें दर्ज की गईं –

लोको पायलट ने रेड सिग्नल पर ट्रेन नहीं रोकी।

असिस्टेंट लोको पायलट समय रहते इमरजेंसी ब्रेक नहीं लगा सकीं।

लोको पायलट चलती ट्रेन में अधिकारियों से फोन पर बात कर रहा था।

हादसे के बाद राहत ट्रेन और मेडिकल वैन भेजने में देरी हुई।

हूटर समय पर नहीं बजा, जिससे वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी देर से मिली।

रिपोर्ट में आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली को “कमजोर” बताया गया और इसे तुरंत मजबूत करने की जरूरत जताई गई है।

16 बिंदुओं पर तत्काल सुधार की सिफारिश

रिपोर्ट में निम्न सुधारों को तुरंत लागू करने की सलाह दी गई है –

सभी मॉनिटरिंग डिवाइसों की घड़ियां जीपीएस टाइम से ऑटो-सिंक हों।

मेमू ट्रेन के सीसीटीवी फुटेज की विस्तृत जांच।

ट्रेनों में एडवांस वीडियो सर्विलांस सिस्टम लगाया जाए।

मेमू में ऑक्जिलियरी वार्निंग सिस्टम अनिवार्य किया जाए।

रेस्क्यू ट्रेन–मेडिकल वैन भेजने की प्रक्रिया और अधिक स्पष्ट हो।

हूटर और कम्युनिकेशन सिस्टम की नियमित जांच।

लोको पायलट–एएलपी के प्रमाण पत्र की प्रोसेस नियम अनुसार हो।

ट्रेनिंग मॉड्यूल और नियम पुस्तिका की विसंगतियों को खत्म किया जाए।

मृत क्रू के पोस्टमॉर्टम में अल्कोहल टेस्ट अनिवार्य किया जाए।

ब्लैक बॉक्स डेटा गुम होने की समस्या खत्म हो।

मेमू ट्रेनों में रियल टाइम डेटा ट्रांसमिशन अनिवार्य हो।

कोच में इलेक्ट्रिकल और पैसेंजर एरिया के बीच मजबूत पार्टिशन वॉल हो।

प्रशिक्षित मेमू लोको पायलटों की कमी दूर की जाए।

एएलपी को इमरजेंसी ब्रेक के स्पष्ट निर्देश दिए जाएं।

यलो सिग्नल पर गति सीमा के स्पष्ट नियम जारी हों।

कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज

रिपोर्ट के बाद अनुमान है कि फाइनल रिपोर्ट आने पर संरक्षा और विद्युत विभाग के कई अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। अभी तक सीनियर डीईई और सीनियर सीएसओ को हटाया गया है, जबकि असिस्टेंट लोको पायलट रश्मि राज को निलंबित किया गया है। फाइनल रिपोर्ट रेलवे बोर्ड की समीक्षा के बाद जारी होगी।

 

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