Chhattisgarh | सत्रह राज्यों के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ के नरवा विकास का स्थल में जाकर किया अवलोकन
1 min readChhattisgarh | Officials of seventeen states visited the site of Narva development of Chhattisgarh and observed
दल द्वारा लघु वनोपजों के प्रसंस्करण केन्द्र दुगली का भी भ्रमण
मृदा एवं जल संरक्षण पर राष्ट्रीय कार्यशाला
रायपुर। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के तत्वाधान में राजधानी रायपुर में 23 मई से मृदा एवं जल संरक्षण पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के अंतर्गत आज छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों के उच्चाधिकारियों के दल ने स्थल भ्रमण कर जायजा लिया। इस दौरान दल द्वारा राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा विकास योजना के तहत धमतरी वन मंडल के दक्षिण सिंगपुर परिक्षेत्र अंतर्गत पम्पार नाला के पुर्नोद्धार कार्य सहित भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का विस्तार से अवलोकन किया गया। दल ने लघु वनोपजों के प्रसंस्करण केन्द्र दुगली का भी भ्रमण कर वहां कार्यरत समूह की महिलाओं से चर्चा की।
दल में 17 विभिन्न राज्यों एवं 02 संघ शासित प्रदेश के विभागीय उच्चाधिकारी शामिल थे। उल्लेखनीय है कि वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के तत्वाधान में 23 से 25 मई तक रायपुर में वन क्षेत्र के अंदर बहने वाले नदी-नालों के जीर्णोद्धार हेतु मृदा एवं जल संरक्षण के उपाय तथा लघु वनोपजों के सतत प्रबंधन हेतु तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया गया।
भ्रमण के दौरान प्रधान मुख्य वन संरक्षक छत्तीसगढ़ व्ही. श्रीनिवास राव ने दल को बताया कि छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा जी.आई.एस. टूल्स और अन्य तकनीकों का प्रयोग करते हुये वन क्षेत्रों में नरवा योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु नरवा का डी.पी.आर. तैयार कर विभिन्न संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिसका बेहतर परिणाम देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में नरवा विकास योजनांतर्गत वन क्षेत्रों में कराए जा रहे भू-जल संरक्षण के कार्य से अनेक लाभ प्राप्त हो रहे हैं। इससे वनों में मिट्टी के कटाव में कमी हो रही है। साथ ही वन क्षेत्रों में भू-जल स्तर में वृद्धि होने से वनों के पुनरोत्पादन क्षमता में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है।
दल को बताया गया कि पम्पार नाला में भू-जल संवर्धन संबंधी निर्मित संरचनाओं में ब्रश वुड चेक डेम-44, लूज बोल्डर चेक डेम-68, ईजीपी-3, गेबियन संरचना-3, टी.एफ.एम.-188, सी.एस.बी.-24, डायवर्सन ड्रेन-1, एम.पी.टी.-2, पॉंड-2, परकोलेशन टैंक-1, एस.सी.टी., सी.सी.टी.-409, डाइक पडल्ड-2, वाट-35, ईसीबी- 26, एस.डी.-1 सहित कुल 809 संरचनाएं शामिल हैं। इस दौरान केन्द्रीय वन विभाग द्वारा देश के अन्य सभी राज्यों को छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा अपनाई गई प्रणाली का प्रयोग करने हेतु प्रोत्साहित किया गया। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग छत्तीसगढ़ शासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भ्रमण के दौरान नरवा विकास योजना अंतर्गत नालों में किये जा रहे उपचार एवं निर्मित संरचनाओं के बारे में चर्चा करते हुए विस्तृत जानकारी भ्रमण दल को दिया गया।
दल में 17 विभिन्न राज्यों एवं 02 संघ शासित प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी (कैम्पा) शामिल थे, इनमें कैलाश चन्द्र मीणा राजस्थान, बसता राजकुमार पंजाब, पी. पी. सिंघ उत्तर प्रदेश, मनीबी मित्तल उत्तर प्रदेश, डॉ. सौरव घोष फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया, रमन कांत मिश्रा पंजाब, जगदीश चंद्र हरियाणा विवेक सक्सेना आईआरओ लखनऊ. शैलेष टेंभुलकर महाराष्ट्र, पंकज गर्ग महाराष्ट्र अरविंद सिंघ बिहार, डॉ के. रविचन्द्रन आईआईएफएम भोपाल, बी आनन्द बाबु एमएफपी फेडरेशन, लोकेश जयसवाल तेलंगाना महेन्द्र सिंघ धाकर मध्यप्रदेश, सुधांशु गुप्ता तमिलनाडु डॉ योगेश के दुबे भोपाल, महेश चंद गुप्ता राजस्थान संतोष विजय शर्मा उत्तराखण्ड, समीता राजोरा मध्यप्रदेश, एस.एस. रासैली उत्तराखण्ड थे।
इसी तरह दल में अशोक सिन्हा आईआरओ भोपाल, पी.सी. राय कर्नाटक, अर्त त्राना मिश्रा आईआरओ भुवनेश्वर, अनुराग प्रियदर्शी उत्तर प्रदेश, प्रवीण कुमार राघव गोवा, अमित गमावत गोवा, विनोद कुमार काटुबोईना आध्रप्रदेश, रामकृष्णा आंध्रप्रदेश, एस माधव राव तेलंगाना, अश्वनी कुमार कार ओडिशा, प्रवीण यादव आ. एफ.ओ. चंडीगढ़, हर्ष ठक्कर गुजरात, प्रदीप मिश्रा ओडिशा, चंद्रशेखरन बाला एन महाराष्ट्र ,आरूल राजन चंडीगढ़, महालिम यादव उत्तराखण्ड, अक्षय राठोण मध्यप्रदेश, महेन्द्र सिंघ उइके मध्यप्रदेश, विनीत कुमार आंध्रप्रदेश, अरविंद यादव उत्तर प्रदेश, संतोष तिवारी आईआरओ रांची शामिल थे।