Chhattisgarh | North-South culture mingles at Chakradhar Samaroh
रायगढ़, 04 सितंबर 2025। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह के आठवें दिन उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक छटा मंच पर साकार हुई। कथक और भरतनाट्यम की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भक्ति और भावनाओं के अनोखे संगम से सराबोर कर दिया।
संगीता कापसे ने कथक में दिखाया कृष्ण लीला का सौंदर्य
रायपुर की सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना और गुरु संगीता कापसे ने अपनी शिष्याओं के साथ कृष्ण भक्ति पर आधारित प्रस्तुति दी। उन्होंने तीनताल और झपताल की लय पर श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंगों को जीवंत किया।
गोकुल आगमन की खुशी, यशोदा-कृष्ण की ममता, माखन चोरी की लीला, कालिया नाग वध और अंत में रास के माध्यम से प्रेम का संदेश—इन सभी को भावपूर्ण कथक शैली में प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कला प्रेमियों ने उनकी साधना और कृष्ण भक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुति की खूब सराहना की।
भरतनाट्यम से दिखी दक्षिण भारत की झलक
रायपुर की अजीत कुमारी कुजूर और उनकी टीम ने भरतनाट्यम की मनोहारी प्रस्तुति दी। उनके भावपूर्ण अभिव्यक्तियों, सधे हुए पदचालन और नवरस की झलकियों ने दर्शकों को मोहित कर दिया।
हाव-भाव (मुद्रा), चेहरे के भाव और पैरों की तालबद्ध चाल से उन्होंने भरतनाट्यम की शास्त्रीयता और दक्षिण भारत की परंपरा को मंच पर सजीव कर दिया।
इंजीनियर और योग विशेषज्ञ होने के बावजूद अजीत कुमारी ने कला के प्रति अपने जुनून को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचाया है।
उत्तर-दक्षिण के इस संगम ने दर्शकों को भावविभोर किया और समारोह की सांस्कृतिक गरिमा को और ऊँचाई दी।