Chhattisgarh: High Court fines hospital for revealing identity of HIV victim
बिलासपुर/रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) में एचआईवी पीड़िता की पहचान उजागर करने की घटना पर कड़ी नाराजगी जताई और पीड़िता को 2 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने राज्य शासन को निर्देश दिए कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और जांच रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए।
अस्पताल की लापरवाही पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
हाईकोर्ट ने कहा कि यह कृत्य न केवल अमानवीय, बल्कि निजता और नैतिकता के अधिकार का गंभीर उल्लंघन है। राज्य सरकार के मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने को भी कहा गया। अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ने बताया कि एचआईवी पीड़ितों की पहचान उजागर न करने का नियम पहले से लागू है, लेकिन अस्पताल कर्मियों की लापरवाही के कारण यह घोर उल्लंघन हुआ।
नवजात शिशु के पास पोस्टर लगाने की घटना
घटना में नवजात शिशु के पास एक पोस्टर लगाया गया था, जिसमें बच्चे की मां एचआईवी पॉजिटिव होने का विवरण लिखा था। यह पोस्टर गाइनो वार्ड और नर्सरी वार्ड के बीच रखा गया था। बच्चे के पिता ने पोस्टर देखकर रो दिया। हाईकोर्ट ने इसे अत्यंत अमानवीय और असंवेदनशील कृत्य करार दिया, जो मां और बच्चे को सामाजिक कलंक और भविष्य में भेदभाव का शिकार बना सकता है।
कानूनी आधार
कोर्ट ने कहा कि यह कार्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। अस्पताल प्रशासन पर कार्रवाई करने और पीड़िता को मुआवजा देने के आदेश के साथ याचिका को निराकृत कर दिया गया।

 
									 
			 
			 
			