Chhattisgarh | टसर सिल्क वाला गमछा बनेगा छत्तीसगढ़ की पहचान, स्थानीय बुनकरों और शिल्पकारों के हुनर से हुआ तैयार
1 min read
रायपुर। स्थानीय बुनकरों और शिल्पकारों के हुनर से तैयार एक खास गमछा अब छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति की नई पहचान बनेगा। सरकार ने राजकीय अतिथियों के लिए खास तौर पर छत्तीसगढ़ी टच वाला गमछा बनवाया है। टसर सिल्क और खादी से बने इन गमछों पर गोदना चित्रकारी हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ के राजकीय गमछे का लोकार्पण किया।
छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा संघ द्वारा राज्य की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने वाले ये गमछे टसर सिल्क एवं कॉटन बुनकरों और गोदना हस्त शिल्पियों द्वारा तैयार कराए गए हैं। गमछे पर छत्तीसगढ़ के राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना, राजकीय पशु वन भैंसा, मांदर, बस्तर के प्रसिद्ध गौर मुकुट और लोक नृत्य करते लोक कलाकारों के चित्र गोदना चित्रकारी से अंकित किए गए हैं। गमछे की डिजाइन में धान के कटोरे के रूप में प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ राज्य को प्रदर्शित करने के लिए धान की बाली तथा हल जोतते किसान को प्रदर्शित किया गया है।
सरगुजा की पारंपरिक भित्ति चित्र कला की छाप गमछे के बार्डर पर अंकित की गई है। संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, शासकीय आयोजनों में यह गमछा अतिथियों को भेंट किया जाएगा। गमछा तैयार करने के पारिश्रमिक के अलावा गमछे से होने वाली आय का 95 प्रतिशत हिस्सा बुनकरों तथा गोदना शिल्पकारों को दिया जाएगा। इस दौरान पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू, संसदीय सचिव चन्द्रदेव राय, छत्तीसगढ़ राज्य गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी. मौजूद रहे।
टसर सिल्क वाला यह गमछा –
टसर सिल्क गमछे की चौड़ाई 24 इंच तथा लंबाई 84 इंच है। इसकी बुनाई सिवनी चांपा के बुनकरों द्वारा की गई है। गमछे पर सरगुजा की महिला शिल्पियों ने गोदना प्रिंट के माध्यम से डिजाइनों को उकेरा है। सिल्क गमछे में गोदना डिजाइन एक दिन में एक नग ही हो पाता है। एक सिल्क गमछे में गोदना चित्रकारी के लिए 700 रुपए का पारिश्रमिक तय है। वहीं बुनकरों को प्रति नग 120 रुपए की मजदूरी मिलेगी। ऐसे एक सिल्क गमछे का मूल्य 1 हजार 534 रुपए तय हुआ है।