Chhattisgarh | डिप्टी CM के सामने बोले पूर्व नक्सली, अब जीना है सम्मान से ..

Chhattisgarh | Former Naxalite spoke in front of Deputy CM, now we have to live with respect…
सुकमा, 4 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ के सुदूर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास की दिशा में एक सकारात्मक और प्रेरणादायक पहल की गई है। जिला प्रशासन के सहयोग से पुनर्वास केंद्रों में रह रहे आत्मसमर्पित नक्सलियों को राजमिस्त्री, कृषि उद्यमिता, व अन्य कौशलों का प्रशिक्षण देकर मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है।
पिछले तीन महीनों से चल रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल पूर्व नक्सलियों ने गुरुवार को उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा का गर्मजोशी से स्वागत किया और “भारत माता की जय” के नारों से माहौल देशभक्ति से भर दिया।
शासन की नीति से बदली ज़िंदगी, हिंसा से विकास की ओर मोड़
इस अवसर पर आत्मसमर्पित नक्सलियों ने उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा से संवाद करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी है।
उन्होंने कहा कि कभी भ्रम और हिंसा में फंसा हुआ उनका जीवन अब सम्मान और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
कई पूर्व नक्सलियों ने यह भी स्वीकार किया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की जानकारी के अभाव में वे गलत राह पर चल पड़े थे।
लेकिन अब शासन से मिल रहे कौशल प्रशिक्षण, सरकारी योजनाओं और दस्तावेज़ निर्माण की सहायता से उन्हें समाज में नई पहचान मिल रही है।
डिप्टी सीएम ने दिए पुनर्वास को मजबूत करने के निर्देश
डिप्टी मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस अवसर पर पुनर्वास केंद्रों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ अहम निर्देश जारी किए:
आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड और बैंक खाता जैसे आवश्यक दस्तावेज पुनर्वास केंद्र में ही बनाए जाएं।
आत्मसमर्पित नक्सलियों को रायपुर और जगदलपुर जैसे शहरों का एक्सपोजर विजिट कराया जाए, जिससे वे बाहरी दुनिया से परिचित हो सकें।
जिनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि नहीं है, उनके लिए साक्षरता कार्यक्रम शुरू किया जाए।
खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियाँ और देशभक्ति फिल्में दिखाकर उनमें सकारात्मकता और प्रेरणा का संचार किया जाए।
उन्हें नियमित आय वाले स्थायी कार्यों से जोड़ा जाए ताकि वे स्थायी रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
एक नई शुरुआत: हिंसा से विकास की ओर
सुकमा जिले में छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल न केवल सुरक्षा और शांति के लिए अहम है, बल्कि यह मानवता और सामाजिक समरसता की दिशा में भी एक मजबूत संदेश देती है।
पूर्व नक्सलियों के अनुभव और बदलती सोच यह साबित करती है कि अगर समर्थन, दिशा और अवसर मिले तो कोई भी व्यक्ति समाज के लिए उपयोगी और प्रेरणास्रोत बन सकता है।