Chhattisgarh | छत्तीसगढ़ में B.Ed सहायक शिक्षकों का उग्र प्रदर्शन, वित्त मंत्री ओपी चौधरी के बंगले का घेराव
1 min readChhattisgarh | Fierce demonstration by B.Ed assistant teachers in Chhattisgarh, siege of Finance Minister OP Chaudhary’s bungalow
रायपुर। छत्तीसगढ़ में B.Ed सहायक शिक्षकों की बर्खास्तगी के मुद्दे पर राज्यभर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। राजधानी रायपुर में बीते एक महीने से लगातार आंदोलन कर रहे शिक्षकों का आक्रोश अब और बढ़ता दिख रहा है। शुक्रवार सुबह से ही B.Ed अर्हता प्राप्त महिला सहायक शिक्षकों ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी के बंगले का घेराव कर जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया।
शिक्षकों की मांग : नौकरी के बदले समायोजन –
सहायक शिक्षकों की प्रमुख मांग है कि उन्हें बर्खास्त करने के बजाय समायोजन का विकल्प दिया जाए। राज्य सरकार की ओर से लगातार जिलों में बर्खास्तगी के आदेश जारी किए जा रहे हैं, जिससे करीब 3000 सहायक शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। इन आदेशों के खिलाफ शिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा है।
सुबह 5 बजे से मंत्री के घर के बाहर डेरा –
प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार तड़के सुबह 5 बजे से ही मंत्री ओपी चौधरी के बंगले के बाहर डेरा डाल रखा है। शिक्षिकाएं सरकार का ध्यान अपनी मांगों की ओर खींचने के लिए नारेबाजी कर रही हैं। प्रदर्शनकारी शिक्षकों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी, तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे।
चुनाव बहिष्कार की चेतावनी –
इससे पहले शिक्षकों ने चुनाव आयोग में पहुंचकर मतदाता पहचान पत्र रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर उनकी नौकरी बहाल नहीं की गई, तो वे आगामी चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे।
सरकार का रुख और शिक्षकों की नाराजगी –
राज्य सरकार ने सहायक शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। हालांकि, अब तक इस कमेटी की एक भी बैठक नहीं हुई है, जिससे शिक्षकों की नाराजगी बढ़ गई है। उनका कहना है कि सरकार उनके भविष्य को लेकर गंभीर नहीं है।
नगरीय निकाय चुनाव से पहले सरकार पर दबाव –
नगरीय निकाय चुनाव नजदीक होने के कारण सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। सहायक शिक्षकों का कहना है कि वे अपना आंदोलन तब तक नहीं रोकेंगे, जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती।
प्रदर्शनकारियों की मांगें –
नौकरी के बदले समायोजन का प्रावधान।
बर्खास्तगी के आदेश वापस लिए जाएं।
कमेटी की बैठक तुरंत बुलाई जाए।
सरकार के सामने चुनौती –
नगरीय निकाय चुनाव से पहले यह मुद्दा सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार शिक्षकों की मांगों पर क्या रुख अपनाती है और यह आंदोलन किस दिशा में आगे बढ़ता है।