Chhattisgarh | छत्तीसगढ़ में मराठी को भाषाई अल्पसंख्यक दर्जा देने की मांग

Chhattisgarh | Demand to give Marathi linguistic minority status in Chhattisgarh
बिलासपुर, 8 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ में मराठी भाषा को भाषाई अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर बड़ी सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार करते हुए तीन माह के भीतर निर्णय ले। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बी. डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने दिया।
क्या है मामला?
बिलासपुर के तिलक नगर निवासी डॉ. सचिन काले ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की थी और खुद अदालत में अपनी पैरवी की। उन्होंने तर्क दिया कि जैसे अन्य राज्यों में भाषाई आधार पर अल्पसंख्यक दर्जा दिया गया है, वैसे ही छत्तीसगढ़ में मराठी भाषी समुदाय को भी यह दर्जा मिलना चाहिए।
याचिका में उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 तथा सुप्रीम कोर्ट के TMA पाई फाउंडेशन बनाम कर्नाटक फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक दर्जे का निर्धारण राज्य स्तर पर होना चाहिए, न कि राष्ट्र स्तर पर।
किन राज्यों में मिला है भाषाई अल्पसंख्यक दर्जा?
कर्नाटक : उर्दू, मराठी, हिंदी और तुलु
तमिलनाडु : तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उर्दू
मध्यप्रदेश : उर्दू, मराठी, सिंधी
महाराष्ट्र : यहूदी समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा
याचिकाकर्ता ने इन उदाहरणों का हवाला देते हुए बताया कि मराठी भाषी समुदाय छत्तीसगढ़ में दशकों से निवासरत है, और उनकी संस्कृति, भाषा और पहचान के संरक्षण के लिए अल्पसंख्यक दर्जा आवश्यक है।