September 21, 2024

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Chhattisgarh | वनाश्रितों के आय में लगातार हो रही वृद्धि, तेंदूपत्ता संग्रहण के दाम बढ़ने से ख़ुश हैं संग्राहक

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Chhattisgarh | Continuous increase in the income of forest dwellers, collectors are happy with the increase in the price of Tendupatta collection

रायपुर। वनोपज से वन आश्रितों के जीवन में बेहतर बदलाव आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों के हित में काम करते हुए कई यहां कार्य किए हैं। लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य में खरीदी, दाम में बढ़ोत्तरी, कृषि और लघु वनोपजों का संग्रहण, वैल्यू एडिशन जैसे कार्यों से न केवल वनांचल क्षेत्रों में लोगों को रोजगार मिला है बल्कि उनके जीवन में बदलाव भी आ रहे हैं। आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, पेयजल, सड़क, सामुदायिक भवनों जैसी सुविधाओं का विस्तार हुआ है। वनाश्रितों के अधिकारों में भी वृद्धि हुई है।

तेंदूपत्ता संग्राहकों के हित में छत्तीसगढ़ सरकार ने कई कदम बढ़ाए हैं, यही कारण है कि तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के जीवन में खुशहाली की बयार है। तेंदूपत्ता पहले जहां 2500 रुपए प्रति मानक बोरा खरीदा जाता था आज उसे बढ़ाकर 4000 रुपए प्रति मानक बोरे में खरीदा जा रहा है, प्रति मानक बोरा में कल 1500 रुपए की वृद्धि की गई। प्रदेश में अब तक संग्राहकों से तीन चौथाई तेंदूपत्ता का संग्रहण किया जा चुका है।

राज्य में अब तक संग्रहित मात्रा में से वनमण्डल बीजापुर में 81 हजार मानक बोरा तथा सुकमा में एक लाख 22 हजार 310 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण शामिल है। इनमें वनमंडल सुकमा में लक्ष्य एक लाख 8 हजार मानक बोरा के विरूद्ध एक लाख 22 हजार 310 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। इसी तरह वनमण्डल दंतेवाड़ा में 15 हजार 630 मानक बोरा, जगदलपुर में 20 हजार 971 मानक बोरा, दक्षिण कोण्डागांव में 18 हजार 608 मानक बोरा तथा केशकाल में 24 हजार 963 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ है। वनमण्डल नारायणपुर में 18 हजार 610 मानक बोरा, पूर्व भानुप्रतापपुर में 90 हजार 649 मानक बोरा, पश्चिम भानुप्रतापपुर में 34 हजार 884 मानक बोरा, तथा कांकेर में 33 हजार 342 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हो चुका है।

इसी तरह वनमण्डल राजनांदगांव में 60 हजार 588 मानक बोरा, खैरागढ़ में 24 हजार 516 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ है। बालोद में 19 हजार 17 मानक बोरा, कवर्धा में 32 हजार 346 मानक बोरा, वनमण्डल धमतरी में 20 हजार 584 मानक बोरा, गरियाबंद में 77 हजार 574 मानक बोरा, महासमुंद 70 हजार 720 मानक बोरा तथा बलौदाबाजार 16 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया है। वनमण्डल बिलासपुर में 25 हजार 548 मानक बोरा, मरवाही 10 हजार 866 मानक बोरा, जांजगीर-चांपा में 6 हजार 883 मानक बोरा, रायगढ़ में 49 हजार 184 मानक बोरा, धरमजयगढ़ में 70 हजार 945 मानक बोरा, कोरबा में 43 हजार 822 मानक बोरा तथा कटघोरा में 58 हजार 806 मानक बोरा का संग्रहण हुआ है। इसी तरह वनमण्डल जशपुर में 27 हजार 688 मानक बोरा, मनेन्द्रगढ़ 28 हजार 756 मानक बोरा, कोरिया में 20 हजार 958 और सरगुजा में 22 हजार 229 मानक बोरा, बलरामपुर में 86 हजार 561 मानक बोरा, सूरजपुर में 53 हजार 552 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हो चुका है।

हरा सोना है तेंदूपत्ता – औद्योगिक जिले के वनांचल में रहने वाले ग्रामीण तेंदूपत्ता को हरा सोना मानते हैं। गर्मी के दिनों में जब उनके पास न तो खेतों में काम होता है और न ही घर में कुछ काम, तब इसी तेंदूपत्ता यानी हरा सोना का संग्रहण उन्हें मेहनत एवं संग्रहण के आधार पर पारिश्रमिक देता है। वनांचल में रहने वाले ग्रामीणों के लिये तेंदूपत्ता के प्रति मानक बोरा की दर में हुई वृद्धि ने खुशियां जगा दी है। वे बहुत ही उत्साह के साथ तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य कर रही हैं।

दाम बढ़ने से खुश हैं संग्राहक – कोरबा विकासखंड के ग्राम कोरकोमा की सुखमिन बाई और कला कुंवर, वृंदा बाई तेंदूपत्ता संग्रहण कर उसे समिति में बेचने का कार्य वर्षों से कर रही है। एक सीजन में तीन से पांच हजार रूपए तक कमाई करने वाली इन संग्राहिकाओं का कहना है कि वे सुबह से शाम तक पत्ते तोड़कर उसे बण्डल बनाती हैं, फिर फड़ में ले जाकर बेच आती हैं। उनका अधिकांश समय वन में ही गुजरता है। मुख्यमंत्री द्वारा 2500 रूपये प्रति बोरा राशि की दर को 4000 रूपए किए जाने पर खुशी जताते हुए सुखमिन बाई ने इससे उनके जैसे संग्राहकों को लाभ पहुंचने की बात कही।

एक-एक पत्ता तोड़कर बनाते हैं बंडल – ग्राम कोरकोमा की रहने वाली बिसाहीन बाई, गीता बाई, सुखो बाई, ननकी बाई का कहना है कि वह कई साल से तेंदूपत्ता तोड़ने का कार्य कर रही है। संग्राहकों के हित में 2500 की राशि 4000 रूपए प्रति बोरा होने पर गरीब संग्राहकों को इससे फायदा होने की बात कही। कुदमुरा के राजकुमार ने बताया कि वह मजदूरी के साथ-साथ तेंदूपत्ता संग्रहण का काम कई वर्षों से करता आ रहा है। गांव में तेंदूपत्ता संग्रहण से गर्मी के दिनों में कुछ कमाई हो जाती है। एक-एक पत्तों को तोड़कर बण्डल बनाने में मेहनत लगता है। शासन ने संग्राहकों के परिश्रम का महत्व को समझते हुए राशि बढ़ाई है जो सराहनीय है।

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