November 1, 2024

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Chhattisgarh | छत्तीसगढ़ के चित्रसेन ने माउंट एलब्रुस पर भारतीय तिरंगा लहराया, कृत्रिम पैरों से फतह की यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी

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रायपुर। छत्‍तीसगढ़ के युवा चित्रसेन साहू ने यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस पर पहुंचकर देश की आन-बान और शान तिरंगा लहराया। चित्रसेन ने 23 अगस्त को सुबह 10:54 बजे (मास्को के समय के मुताबिक) (1.24pm भारतीय समय के अनुसार) माउंट एलब्रुस पर भारतीय तिरंगा लहराया। इस के साथ ही उन्‍होंने तीन महाद्वीप के उच्च शिखर पर पहुंचने का गौरव हासिल किया। जानकारी के मुताबिक रुस में स्थित है माउंट एलब्रुस पर्वत जिसकी ऊंचाई 5642 मीटर (18510 फीट) है। चित्रसेन इस पर्वत को फतह करने वाले देश के प्रथम डबल अम्पुटी पर्वतारोही (दोनों पैर कृत्रिम) बनेे। उन्‍होंने पर्वत से मिशन इंक्लूसन और प्लास्टिक फ्री का संदेश दिया।

बता दें कि चित्रसेन साहू छत्‍तीसगढ़ के ब्लेड रनर, ‘हाफ ह्यूमन रोबो’ के नाम से जाने जाते हैं। वे मूलतः बालोद छत्तीसगढ के निवासी हैं। चित्रसेन साहू मिशन इंक्लूसन अपने पैरों पर खड़े हैं मिशन के तहत यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी एलब्रुस का फतह करने में सफलता पाई है।

छत्तीसगढ़ की अमेरिका स्थित एनआरआइ संस्था नाचा (नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन) ने इस पर्वतारोहण अभियान में चित्रसेन का सहयोग किया। सात समुंदर पार अमेरिका के इस संस्था ने चित्रसेन साहू के उपलब्धि को पूरे देश के लिए गौरव भरा पल बताया साथ ही चित्रसेन को आगामी अभियान के बधाइयां दी।

इससे पहले चित्रसेन साहू ने माउंट किलिमंजारो और माउंट कोजीअस्को फतह कर नेशनल रिकार्ड कायम किया था। माउंट किलिमंजारो अफ्रीका महाद्वीप और माउंट कोजिअसको आस्ट्रेलिया महाद्वीप की सबसे ऊंची पर्वत है। चित्रसेन ने यह उपलब्धि हासिल करने वाले देश के प्रथम डबल एंप्यूटी है। चित्रसेन साहू ने बताया कि दोनों पैर कृत्रिम होने की वजह से पर्वतारोहण में बहुत कठिनाइयां आती है और यह अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है, जिसे उन्होंने स्वीकार किया है।

सात महाद्वीप के साथ शिखर फतह करना इनका लक्ष्य है। इसमें एलब्रुस के साथ तीन लक्ष्य को उन्होंने फतह कर लिया है। हालांकि -15 से -25 तापमान के साथ पर्वतारोहण करना और 50-70 किमी प्रति घंटा के रफ्तार से हवाई तूफान और स्नो फाल इस मुहिम में परेशानी का सबब बन रही थी। बावजूद इसके चित्रसेन ने अपनी तैयारी पूरी कर रखी थी और अभियान पूरा करने का जज्बा बनाए रखा।

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