Chhattisgarh | Biodiversity is an invaluable boon for human life: Dr. M.L. Nayak
रायपुर, 29 अगस्त। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान छत्तीसगढ़ शाखा द्वारा राजधानी रायपुर स्थित सर्किट हाउस में “छत्तीसगढ़ की जैव विविधता” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ और राज्य जैव विविधता संरक्षण बोर्ड के सदस्य डॉ. एम.एल. नायक ने कहा कि जैव विविधता मानव जीवन के लिए अमूल्य वरदान है और इसका संरक्षण समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
डॉ. नायक ने बताया कि जैव विविधता से तात्पर्य जीन, प्रजाति और इकोसिस्टम स्तर पर मौजूद विभिन्नताओं से है। भारत सरकार ने वर्ष 2002 में जैव विविधता अधिनियम पारित किया तथा 2004 में इसके नियम बनाए। छत्तीसगढ़ सरकार ने 2015 में राज्य स्तरीय जैव विविधता नियम जारी किए।
उन्होंने कहा कि भारत का भौगोलिक क्षेत्रफल पृथ्वी का केवल 2 प्रतिशत है, लेकिन यहां 7 प्रतिशत जैव विविधता उपलब्ध है। छत्तीसगढ़ इस दृष्टि से बेहद समृद्ध है, जहां लगभग 40 प्रतिशत भू-भाग पर वन फैले हुए हैं। राज्य में 3,000 फूलदार पौधों की प्रजातियां, 36 स्तनधारी जीव, 383 पक्षी, 73 सरीसृप और 173 तितलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से कई विलुप्त होने के कगार पर हैं, जिनके संरक्षण के लिए गंभीर प्रयास जरूरी हैं।
अपने अनुभव साझा करते हुए डॉ. नायक ने बताया कि कांगेर घाटी में शोध के दौरान उन्हें पीपल की एक नई प्रजाति मिली, जिसका नामकरण उनके नाम पर फाइकस नायकाई किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में अब भी कई प्रजातियां हैं जिनकी खोज बाकी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय लोक प्रशासन संस्थान छत्तीसगढ़ शाखा के अध्यक्ष डॉ. सुयोग्य कुमार मिश्रा ने की। उन्होंने बताया कि यह संस्था नई दिल्ली स्थित भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की राज्य स्तरीय शाखा के रूप में कार्य कर रही है और प्रशासनिक कार्यों से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर समय-समय पर कार्यशालाएं आयोजित करती रही है।
इस अवसर पर संस्थान की उपाध्यक्ष पूर्व अपर मुख्य सचिव श्रीमती इंदिरा मिश्रा, श्री अजय सिंह, सचिव श्री अनुप श्रीवास्तव समेत अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
